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मूस की मज़दूरी | Moos Kee Majadooree | Class 3 Hindi | NCERT/CBSE | From Eguides
बहुत समय पहले की बात है। उस समय आदमी के पास धन नहीं था।
सबसे पहले आदमी ने धन का पौधा एक पोखरी के बीच में देखा।
धन की बालियाँ झूम-झूमकर जैसे आदमी को बुला रही थीं। पर गहरे
पानी के कारण धन तक पहुँचना कठिन था।
आदमी सोचता हुआ खड़ा ही था कि वहीं पर एक मूस दिखलाई
पड़ा। आदमी ने मूस को पास बुलाया और कहा द-
मूस भाई, पोखरी के बीच में देखो उन धन की प्यारी बालियों को,
झूम-झूम कर वे मुझे बुला रही हैं लेकिन पानी गहरा है। यदि तुम उन्हें
हमारे लिए ला दो, तो हम तुम्हें मेहनताने का हिस्सा दे देंगे।
मूस को भला क्या एतराश था! वह सरसर तैर गया और बालियों को
दाँतों से कुतर-कुतर कर किनारे पर लाने लगा। थोड़ी-ही देर में किनारे
पर धन की बालियों का ढेर बन गया।
तब आदमी ने प्रसन्न होकर कहा द- मूस भाई, अब इसमें से अपनी
मज़दूरी का हिस्सा तुम स्वयं ले लो।
पर मूस ने कहा द-भाई मेरे, मैं ठहरा छोटा जीव। मेरा सिर भी है
छोटा। अपना हिस्सा इस छोटे से सिर पर ढोकर कैसे ले जाऊँगा?
इसलिए अच्छा तो यह होगा कि तुम यह पूरा धन अपने घर ले जाओ
और मैं तुम्हारे घर पर ही आकर अपने हिस्से का थोड़ा धन खा लिया
करूँगा।
आदमी ने ऐसा ही किया और तभी से मूस आदमी के
घर धन खाता चला आ रहा है।
रामनंदन
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