जय हो! व्यास पीठासीन भगवान् नारायण स्वरूप की | 🎉काहे तुम गणिका के अवगुण ना गिने नाथ, काहे तुम भीलनी के जूंठे बेर खाये हो? काहे तुम सुदामा के पल में दरिद्र हरे, काहे तुम गज काज नंगे पैर धाए हो?? काहे तुम द्रौपदी की पल में पुकार सुनी, काहे तुम उग्रसेन बन्दी से छुड़ाए हो? मेरी बेर इत्ती देर कान मूंदि बैठे नाथ, तो, दीनबंधु दीनानाथ काहे को कहाए हो??