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There are so many allegations on Lord Krishna for being biased and about his more than 16000 Queens. So this is an answer to all those fools who knows nothing and boast like they're the most Gyaani person on planet earth....
Jai Shree Krishna 🙏🏻🙏🏻❤️❤️❤️❤️🙏🏻🙏🏻
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Lyrics:
जिन लीलाओं की बात सुनी थी
वो लीला मैं समझाता हूं,
गोकुल के गलियारों से
कुरुक्षेत्र का रण दर्शन तुम्हें कराता हूं।
गोकुल में था जन्म लिया
और नाम पड़ा था माखनचोर
अरे हरि का था सो हरि ने खाया।
अपराध नहीं था ये घनघोर
शास्त्रों में वर्णित है आहार तो बस है भूखे का
क्षुधा नहीं मिटाता छप्पन भोग किसी की
और कोई आभारी रूखे सूखे का
फिर बड़ा हुआ वृंदावन आया
गोपियों संग था रास रचाया
अरे छोटी सोच लेकर तुम लांछन मुझ पर लगाओगे
वासना से पीड़ित हो शाश्वत प्रेम समझ ना पाओगे
जन-जन में कृष्ण हर रण में कृष्ण
जो प्रेम से देखो तो कण-कण में कृष्ण
जिसने जाना प्रेम को उसके हैं तन मन में कृष्ण
जब कृष्ण प्रेम में खोकर गोपी
नृत्य कर हर्षाई थी
कृष्ण प्रेम की ये अद्भुत बेला
रासलीला कहलाई थी।
उस पावन लीला पर उंगली उठा कर
छुपाते अपने तुम दुष्ट कांड हो
अरे नारायण को गलत बताकर
कलंकित करते हो सारे ब्रह्मांड को।
16000 पत्नियां भी वो अपनाई
नरकासुर ने जिनके भंग किया था मान को
अरे भ्रूण हत्या के दोषियों
तुम क्या जानोगे नारी के सम्मान को
जब कंस धरा पर पटका था
तो पीर हुई घनेरी थी
अरे क्या करूं नारायण हूं
वो चीख भी तो मेरी थी।
वध जिसका हुआ है वो भी मैं
और मैंने ही करी वो हत्या है
जो नारायण छल करते हो तो
ये ब्रह्मांड ही सारा मिथ्या है।
ऐसा कोई अमृत कवच नहीं है
जिसको ना भेद सके नारायण
करण वध यदि छल लगता हो तो
पढ़ी तो होगी तुमने रामायण
अरे रावण का संहार हुआ था
तब उदर में उसके अमृत था
अरे कर्ण कवच अभेद्य नहीं था
वह भी अमृत से निर्मित था
अरे मुट्ठी में तीनों काल है मेरे
महाकाल भी मुझ में है।
सहस्त्र सूर्य समाहित मुझ में
जो दिखते तुमको जग में हैं
मुझसे ऊपर कोई श्राप नहीं है
मुझ में वरदान खत्म हो जाता है
मैं ही वह पारब्रह्म हूं
जो नियति का चक्कर चलाता है।
भूमि के श्राप का मान रखा था
और रखा था मान परशुराम का
यदि पक्षपात ही करना होता
कर्ण कवच भी ना होता किसी काम का।
सृष्टि रचने वाला ब्रह्मा
ब्राह्मण हूं मैं शुद्र में ही हूं
और विध्वंस जब होगा धरा पर
वो प्रलयंकारी रुद्र भी मैं हूं।
मैं पारब्रह्म हूं
हर रचना में मैं
सृष्टि की संरचना में मैं
मैं ही हूं जो महाकाल हूं
कभी मां की ममता सा कोमल हूं
कभी रौद्र रूप में मैं विकराल हूं।
अरे मुझे छलिया कहकर खाक हुए सब
कलयुग में अब तुम भी बौराए हो
अरे कृष्ण रंग है भूमंडल सारा
इतना भी समझ ना पाए हो।
नारायण को छल करना पड़े
इतना कोई शक्तिमान नहीं है
अरे पालन करता है जो सृष्टि का
उसको बालक देते ज्ञान नहीं है।
मुझ में ही समाहित सारी धरती
मुझ में सात समंदर है
अरे मुझ में झांक के देख ले बंधु
तू भी मेरे अंदर है।
अरे हर नर में नारायण हैं
जब बात समझ ये जाओगे
सब्यसाची के जैसे ही तुम
गांडीवधारी बन जाओगे।