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श्रीमती सती कुमारी उराँव, खरखा, गुमला(झारखंड) ने कुँड़ुख़ में एम. ए. किया है। उन्होंने कुँड़ुख बातचीत के दौरान अनेक बातों का रहस्योद्घाटन किया है। रोहतासगढ़, जनी शिकार, बिशु सेन्दरा, पड़हा प्रथा, कुँड़ुख़ भाषा, कुँड़ुख़ कविता, कुँड़ुख़ डण्डी, डमकच, कुँड़ुख़ कविता, सरना भजन जैसे अनेकों बातों की जानकारी इस विडियो में देखा जा सकता है।