Рет қаралды 116,158
बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्ता पलट हो गया है और उन्होंने अपना देश भी छोड़ दिया है. प्रधानमंत्री आवास पर हमले से कुछ देर पहले ही उन्होंने बांग्लादेश छोड़ा और भारत के लिए रवाना हो गईं. पिछले लगभग एक महीने से छात्र आरक्षण प्रणाली को लेकर शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. कई जगहों पर आंदोलन उग्र भी हुए और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. कहा जा रहा है कि शेख हसीना के तख्ता पलट के पीछे कई अहम वजहें हैं लेकिन उनके द्वारा बोला गया एक शब्द उन्हें भारी पड़ गया.
बांग्लादेश का आरक्षण सिस्टम:
1971 में, फौजियों के बलिदान को मान्यता देने के लिए उनके लिए नौकरी कोटा शुरू किया गया था, जिसके नतीजे में 30 प्रतिशत सिविल सेवा नौकरियां उन सैनिकों के बच्चों और पोते-पोतियों के लिए आरक्षित की गईं. इसके अलावा अलग से 26 प्रतिशत महिलाओं, पिछले जिलों और दिव्यांगों के लिए की रिजर्व हैं. बाकी बची सिर्फ 44 फीसद नौकरियां ओपन मैरिट थीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सबके चलते बेरोजगारी में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इस वक्त 30 लाख नौजवान बेरोजगार बताए जा रहे हैं.
सरकार ने पलट दिया था फैसला:
कोटा प्रणाली ने असंतोष और हताशा को जन्म दिया, प्रदर्शनकारियों ने पिछड़े और कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित कोटा को समाप्त करने की मांग नहीं की, छात्रों ने आपत्ति जताई कि 'स्वतंत्रता सेनानियों' के बच्चों के लिए कोटा अनुचित था और इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. उनकी आबादी कुल आबादी के एक प्रतिशत से भी कम है, सिविल सेवा की एक तिहाई नौकरियां उनके लिए आरक्षित थीं. इससे पहले 2013 और 2018 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. सरकार ने कोटा ख़त्म करने की घोषणा की, लेकिन सफलता तब विफलता में बदल गई जब 5 जून 2024 को उच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को अवैध करार दे दिया.
एक शब्द ने पलट दी हसीना की गद्दी:
विरोध प्रदर्शन जुलाई में छात्रों द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग के साथ शुरू हुआ. 14 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक भड़काऊ भाषण में प्रदर्शनकारियों को 'रज़ाकार' कहा था. इस शब्द को बांग्लादेशी देशद्रोह के बराबर मानते हैं और यह शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी फौज का सहयोग किया था, 50 साल पहले शेख मुजीब ने एक पार्टी की सरकार बनाई थी, बेटी ने फिर वही गलती दोहराई.
Bangladesh की शेख हसीना की तरह इन देशों के मुखिया भी छोड़ भागे कुर्सी, क्या भारत में भी कभी होगा ऐसा हाल?
Bangladesh Government Crisis:
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सोमवार शाम जब भीड़ प्रधानमंत्री के आवास में घुस गई तो हसीना हेलिकॉप्टर से देश छोड़कर भाग गईं। प्रदर्शनकारियों को पीएम के इस्तीफे का जश्न मनाते देखा जा रहा है, जबकि बांग्लादेश सेना ने सुनिश्चित किया कि एक अंतरिम सरकार शीघ्र ही कार्यभार संभालेगी। बता दें, बांग्लादेश में तख्तापलट से पहले भी कई देशों में तख्तापलट हो चुके हैं। आइए हम इस बारे में जानते हैं।
Bangladesh की शेख हसीना की तरह इन देशों के मुखिया भी छोड़ भागे कुर्सी, क्या भारत में भी कभी होगा ऐसा हाल?
क्यों हुआ बांग्लादेश में तख्तापलट
क्यों हुआ बांग्लादेश में तख्तापलट
बांग्लादेश में तख्तापलट की शुरुआत पिछले महीने के विरोध प्रदर्शन के साथ ही शुरू हो गई थी। जब बांग्लादेश हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत कोटा बहाल करने के पक्ष में फैसला सुनाया था। नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच भड़की हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग घायल हैं। हालात इतने खराब हैं कि पूरे देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगाया गया है और इंटरनेट पर बैन लगाया गया है। सेना अब पूरे देश में तैनात हो गई है।
अफगानिस्तान में हुआ था तख्तापलट
अफगानिस्तान में हुआ था तख्तापलट
साल 2021 में अफगानिस्तान में भी तख्तापलट हो गया था। जब देश तालिबान के कंट्रोल में आ गया और पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को भी देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात भागना पड़ा था। दो दशक तक अमेरिका से लड़ने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 को काबुल के राष्ट्रपति पैलेस के अंदर अपना झंडा फहरा दिया था।
श्रीलंका
साल 2022 में, श्रीलंका में सरकार के खिलाफ मार्च महीने में बांग्लादेश के तरह के विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। श्रीलंका सरकार ने ऐलान किया था कि देश दिवालिया हो गया तो हजारों की संख्या में श्रीलंकाई सड़कों पर उतर आए थे। कोलंबो में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भवन को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया था और गोटा-गो-गामा यानी- गोटबाया अपने गांव जाओ के नारे गूंजे थे। बता दें, प्रदर्शनकारियों की कमरों में आराम करते और स्विमिंग पूल में नहाते हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।
पाकिस्तान
साल 1958 में जनरल अयूब खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में पहला सैन्य तख्तापलट हुआ था। उस समय पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा ने पाकिस्तान के संविधान को निरस्त कर दिया था और मार्शल लॉ घोषित कर दिया, और 27 अक्टूबर तक चला था।
क्या भारत में भी हो सकता है तख्तापलट?
क्या भारत में भी हो सकता है तख्तापलट?
भारत की लोकतांत्रिक संस्थाएं इतनी मज़बूत हैं कि भारत में सेना के लिए तख्तापलट करना बिल्कुल भी असंभव है। इसके बहुत स्वाभाविक कारण हैं। भारत की सेना की स्थापना अंग्रेजों ने की थी और उसका ढांचा पश्चिमी देशों की तर्ज पर बनाया था। इसी के साथ ही भारत की सरकार काफी मजबूत है, तो तख्तापलट जैसी स्थिति होनी भारत में असंभव है।