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आज के इस वीडियो में आप जानेंगे कि लोहे पर जंग क्यों लगती है ? और लोहे को जंग लगने से बचाने के उपाय ।
Jung hatane ka tarika | Lohe ka jang kaise hataye
1) जंग क्यों लगती है
जब लोहे से बना सामान नमी वाली हवा में या गीला होने पर ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) की जम जाती है. यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है, जिसे धातु का संक्षारण कहते या लोहे में जंग लगना कहते है.
2) लोहे पर जंग किन कारणों की वजह से लगती है
लोहे पर जंग लगने का मुख्य कारण ऑक्सीजन और नमी
यानी जब लोहा ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आता है तो लोहा इनके साथ क्रिया करके कुछ अनचाहा कम्पाउंड बना लेता है और लोहे खराब होने लगते है और इसी कारण इसका रंग भी बदल जाता है, इसे लोहे पर जंग लगना कहते है.
3) लोहे में जंग लगने से कैसे रोका जा सकता है :-
लोहे से बने सामानों किसी एक अर्थात पानी या ऑक्सीजन या दोनों के संपर्क में आने से रोक देने पर लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है.
4) लोहे का जंग लगने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है :-
जंग लगने से बचाने का सबसे अच्छा तरीका गैल्वनाइजेशन है। यह एक ऐसी विधि है जिसके माध्यम से लोहे की वस्तु पर ऑक्सीजन के सीधे संपर्क को रोकने के लिए जिंक का लेप लगाया जाता है। तो इस प्रश्न का सही उत्तर है- जिंक का लेप लगाना।
5) जानें लोहे में जंग कैसे लगता है :-
जब लोहे से बने सामान नमी वाली हवा में ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) की जम जाती है. यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है, जिसे धातु का संक्षारण कहते या लोहे में जंग लगना कहते है.
7) लोहे में जंग लगने से सुरक्षा या बचाव के तरीके :-
यशदलेपन (Galvanisation): लोहे आदि से बने सामानों पर जिंक धातु की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को यशदलेपन (Galvanisation) कहते हैं. जिंक परत लोहे से बने सामान को हवा में उपस्थित पानी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आने से रोकती हैं, जिससे जंग नहीं लग पता है. हालाँकि जिंक आयरन से ज्यादा अभिक्रियाशील होता है, लेकिन जिंक हवा में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर जिंक ऑक्साईड (zinc oxide)बनाता है, जिसकी एक पतली परत जिंक पर चढ़ जाती है, जो जिंक के निचली परत को आगे ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करने से रोकती है. इसलिए पानी की लाईनों में उपयोग किये जाने वाले लोहे के पाईप को galvanize किया जाता है, जिससे उनमें जंग ना लग सके.
पेंटिंग: लोहे से बने सामानों पर पेंट की एक या दो परत चढ़ा देने से उसे जंग लगने से बचाया जा सकता है. इससे लोहा हवा में मौजूद ऑक्सीजन या नमी के संपर्क में नहीं आएगा और जंग नहीं लग पाएगा. यही कारण है कि लोहे से बने ग्रिल, कुर्सियां, दरवाज़े, आदि को नियमित रूप से पेंट किया जाता है ताकि उन्हें हवा में नमी के संपर्क में आने से रोका जा सके.
लोहे के सामानों पर ग्रीस या तेल की परत का चढ़ाना: लोहे के सामानों पर ग्रीस या तेल की परत चढ़ा देने से वे हवा में उपस्थित नमी के संपर्क में नहीं आएगा तथा जंग नहीं लग पाएगा. इसलिए सायकल आदि की चेन पर ग्रीस की परत नियमित रूप से चढ़ाई जाती है ताकि उन्हें जंग लगने से बचाया जा सके.
टिन (tin) या क्रोमियम प्लेटिंग (Chromium Plating): लोहे से बने सामानों के उपर टिन (tin) या क्रोमियम (Chromium) की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को टिन या क्रोमियम प्लेटिंग (Chromium plating) कहते हैं. लोहे से बने सामानों पर टिन या क्रोमियम की परत इलेक्ट्रोप्लेटिंग (electroplating) की प्रक्रिया द्वारा की जाती है. टिन या क्रोमियम की परत लोहे से बने सामानों को हवा में ऑक्सीजन के संपर्क में आने से रोकती है, साथ ही टिन तथा क्रोमियम जंग रोधी (corrosion resistant) होते है. अत: यह परत लोहे के सामानों को जंग लगने से बचाती है. साथ ही क्रोमियम की परत सामानों को एक चमकदार तथा आकर्षक भी बनाती है. इसलिए सायकल के हैंडल, सायकल के रिम आदि में क्रोमियम प्लेटिंग की जाती है.
8) जंग लगने के कारण क्या है?
लोहे पर जंग लगने का मुख्य कारण ऑक्सीजन और नमी
9) संक्षारण क्या मतलब होता है?
संक्षारण (Corrosion) का मतलब है धीरे-धीरे खत्म हो जाना.