Рет қаралды 1,377
लोककथाओं पर आधारित माँ झालारी देवी की कथा।
जिला शिमला से लगभग 25 किलोमीटर दूर, प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ नलग नामक एक मनमोहक गाँव है। इस गाँव के आराध्य देव श्री जीजड़ महाराज है व जीजड़ महाराज के साथ ही यहाँ माँ भगवती हिडिम्बा भी विराजमान है जिन्हें झालारी देवी के नाम से भी प्रख्यात है। इस गाँव के मुख्य द्वार पर माँ झालारी का पहला मंदिर स्थित है व गाँव के मध्य श्री जीजड़ देवता महाराज की कोठी के साथ ही दूसरा मंदिर स्थित है।
लोककथाओं के अनुसार मान्यता है कि माँ भगवती झालारी देवनगर नामक गाँव से आयी है। देवनागर गाँव के निचले छोर पर एक नदी बहती है जिसमें एक झरना है। जिसे स्थानीय भाषा में झाल कहा जाता है। मान्यता है कि माँ उसी झरने के नीचे वास करती थी इसलिए उनका नाम झालारी देवी पड़ा।
लोककथाओं के अनुसार झरने के समीप एक आटा चक्की (घराट) थी जो कि पानी से चालती थी। कहते है कि उस चक्की के मालिक दो भाई थे जो कि इस चक्की को बारी-बारी चलाते थे। इन दोनों भाईयों में एक भाई तो ईमानदार था लेकिन दूसरा भाई थोड़ा चालाक था जो कि अपनी बारी में ही नहीं अपितु अपने भाई को बारी पर भी चक्की चलाता था और उसे जो आमदनी होती थी, अपने घर ले जाता था। जब इस बात पर उसके भाई ने आपति उठाई तो यह उसे कहता था कि आटा मैं नहीं घर ले जाता हूँ भगवती खा जाती है और डराने धमकाने लगा। काफी समय व्यतीत होने के पश्चात् भी जब इसी तरह चलता रहा तो उसके भाई ने भगवती मां झालारी से इस बात को गुहार की और विनती की कि मां मैं यदि तेरा संच्या भक्त हूँ तो इन्साफा कर। मां को अपने भक्त के आंसू व उसके साथ हो रही बेईनसाफी देखी न गई। मां ने चक्की के नीचे जाकर चक्की में ऊपर को हाथ डाला जिस कारण चक्की खड़ी हो गई। जब दूसरे भाई को, जो कि हेरा फेरी करता था, इस बात की शंका हुई कि चक्कों के नीचे कुछ फंसा है तो उसने चक्की ऊपर से खोली व पाया कि वहां किसी ने नीचे से हाथ फंसा रखा है और उसने क्रोध में आकर कुल्हाड़ी उठाई व हाथ को काट डाला।
उसके बाद चक्की के नीचे गया और मां के सिर पर कुल्हाड़ी से प्रहार किया जिस कारण देवी मां के सिर तथा बाजू से खून बहने लगा। उसी समय एक व्यक्ति जो कि गांव नलग से अपनी बुआ के घर बतौर मेहमान जाते हुए घी व आटा सहित वहां से गुजर रहा था तो उसे रोने की आवाज सुनाई देने लगी। वह चौक कर खड़ा रहा तो उसकी नजर चक्की की तरफ घूमते हुए खून से लत-पत देवी के ऊपर पड़ी। वह झट से वहां पहुंचा और घी जो अपनी बुआ के घर ले जा रहा था देवी मां के सिर तथा बाजू पर गिरा दिया। उसके बाद अपने सिर से पगड़ी खोलकर देवी मां की पट्टी की जिससे खून बहना बन्द हो गया। तत्पश्चात् अपनी यात्रा पर चल पड़ा और जब वह अपनी बुआ के घर पहुंचकर रात में सोने लगा तो सोते समय देवी माँ ने स्वप्न दिया कि मैं अब यहां नहीं रहना चाहती और हमेशा के लिए तुम्हारे गांव आना चाहती हूँ। इतना कहते ही स्वप्न टूट गया। जब सुबह उसकी नीद खुली तो उसे स्वप्न वाली बात याद आ गई जिस कारण यह अधेड़बुन में लगा रहा। जब वह अपने गांव वापिस पहुंचा तो उसे यह सब बात गांव के मुखिया तथा गांव वासियों से कहीं जिस पर गांववासियों ने उस व्यक्ति को देवी मां को गांव में लाने को कहा। यह व्यक्ति देवी मां झालारी को लाने देवानगर गया तथा वहां पहुँचकर उसने अपने पेट पर कपड़े की गाची बांधी। तत्पश्चात् वहां स्थापित मां झालारी देवी की मूर्ति उसने उठाई और पेट पर बंधी गाची पर रखकर अपने गांव वापस पहुंचा।
देवता जीजड़ जो झालारी माता के धर्म भाई भी है व देवनागर में ही झरने के समीप जंगल में वास करते थे। उन्हें जब इस बात का पता चला तो उन्होंने चक्की वाले व्यक्ती को माता को वापस लाने के लिए कहा परंतु वह नहीं माना जिससे देवता जीजड़ भी रुष्ट होकर गाँव नलग आ गए।
आज यह दोनों महाशक्तियाँ नलग गाँव में विराजमान है व दोनों के आशीर्वाद से समस्त गाँव आज फल फूल रहा है। व देवता जीजड़ और माँ भगवती झालारी देवी का दूसरा मंदिर देवनगर गाँव में भी स्थित है।
Background Music - • Hidimba Devi| (Jhalari...
Follow Us On Instagram:
www.instagram....
#jhalaridevi #hadimba #jeejaddevta #nalag #devbhoomi #himachalpradesh #shimla