लगातार 3 दिनों से इस तेज बारिश में हठ योग का अद्भुत तपस्या | satyanarayan baba ji #lagatartejbarishhorhahai #satyanarayan_babaji #tapasyamailinhai Thanks For watching this video...
Пікірлер: 12
@saratthethuar8680 Жыл бұрын
Om Shri satyanand Baba ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🙏🌺🙏🌺🌺🙏
@prakashsharma9451 Жыл бұрын
Jay satyanarayan baba ki
@kedarsinghuikey6179 Жыл бұрын
Satnarayan baba ki jay❤❤
@dkpandey1515 Жыл бұрын
🌹 ॐ नमः शिवाय 🌹
@GAURIDJBokrda Жыл бұрын
Har har maha dev jay maha kal
@sureshsahu3424 Жыл бұрын
ॐ नमः शिवाय ❤️🙏 श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा जी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ❤️🙏 ❤️ अदभूत है बाबा जी का तपस्या 🙏
@balramyadu6887 Жыл бұрын
जय सत्य नारायण बाबा आपके चरणों को सांषटांग प्रणाम हर हर महादेव
@DhaneshwarSarthi-wn4vu Жыл бұрын
Om Namah Shivaya🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌺🌺🌺🌺
@babadhamraigarhrohitvlogger Жыл бұрын
Om Namah Shivay
@abhayakumardas1798 Жыл бұрын
Har har sambhubaba
@pranjul673 Жыл бұрын
श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकूर सुधारी बरनउ रघुवर विमल जसु जो दायकू फलचारी बुध्दिहिन तनु जान के सुमिरौ पवन कुमार बल बुध्द्धि विध्दा देहू मोहि हरहू कलेश विकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहूं लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा अंजनी पुत्र पवन सुत नामा महाविर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमत्ति के संगी कंचन बरन विराज़ सुवेशा कांनन कुडल कुचित केशा हाथ वज्र ध्वजा विराजे काधे मुज जनेऊ साझे शंकर सुअन केशरी नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन विद्धावान गुणी अत्ति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सिता मन बसिया सुक्षम रूप धरी सिंह ही दिखावा विकट रुप धरी लंक जरावा भिम रुप धरी असुर ही सहारे राम चंद्र के काज सवारे लाऐ सजीवन लखन जियाऐ श्री रघूविर हरषी ऊर लाऐ रघूपति किन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत ही सम भाई सहस बदन तुमरो जस गावे अस कही श्री पती कंठ लगावे संनकादिक ब्रमा दी मुनिसा नारद सारद सहित अहिसा जम कुबेर दिक पाल जहा ते कवि कोविद कही सके कहा ते तुम ऊपकार सुग्रीवही किन्हा राम मिलाऐ राज पद दिन्हा तुम्हरो मंत्र विभीषण माना लंकेश्वर भय सब जग जाना जुग सह्स्र जोजन पर भानु लिलयो ताही मधुर फल जानु प्रभु मुद्रिका मेली मूख माही जल्धी लागी गऐ अचरज नाही दुरगम काज जगत जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पै सारे सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डरना आपन तेज समारोह आपै तिनो लोक हाक ते कापै भूत पिशाच निकट नहीं आवै महाविर जब नाम सुनावै नाशै रोग हरे सब पिरा जपत निरंतर हनुमत बिरा जय जय जय हनुमान गोसाई कृपा करहू गूरू देव कि नाई जो सत बार पाठ कर कोई छूटही बंदी महा सुख होई जो यह पढ़े हनुमान चालिसा होऐ सिद्धी साखी गौरिसा तुलसी दास सदा हरी चेरा किजै नाथ हृदय मह डेरा पवन तनय संकट हरण मंगल मूर्ति रूप राम लखन सिता सहित हृदय बसहू सुरभूप सिया पति राम चंद्र कि जय पवन पुत्र हनुमान कि जय