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भारत पुरातन काल से ही विश्वगुरु रहा है । भारत वर्ष में कई ऐसे उदाहरण है जिन्होंने विश्व के समक्ष अपना लोहा मनवाया है । भारत अब पहले की तरह वैश्विक स्तर पर उतना सक्षम नही है इसका प्रमुख कारण है कि हमने हमारी गुरुकुल पद्धति का त्याग कर दिया। जो पढ़ाई ओनलाइन माध्यम से होती है वह ऑफलाइन माध्यम से नहीं हो सकती है , लेकिन कुछ विषय अधिक कठिन होते है इसीलिए उन्हे समझाने के लिए मेरा एक छोटा सा प्रयास है । संस्कृतज्ञ ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने में बहुत पीछे है , इसीलिए मेरे द्वारा यह एक छोटा सा प्रयास है कि कोई भी संस्कृत छात्र अपनी पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से भी कर सकें लेकिन ऑफलाइन पढ़ाई ही श्रेष्ठ है।
अगर आप हमें कोई सुझाव, सलाह, ज्ञान देना चाहें तो बेझिझक दें सकते है ।
हर व्यक्ति के अंदर एक छात्र को हमेशा जीवित रहना चाहिए। वर्तमान समय की परिस्थितियों को देखकर पढ़ने के लिए ऑनलाइन माध्यम भी श्रेष्ठ है । अब इस नई पीढ़ी यानि कि हम सब युवाओं को संस्कृत को विश्वपटल पर स्थापित करना है । जिसमें आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
आपका अपना संस्कृतोपासक तेजेन्द्र आचार्य
Tejendra Acharya
मिहिर देव कौन थे
वराहमिहिर ने किसकी खोज की थी?
जातक के रचयिता कौन है?
जातकों की रचना किसने की थी?
वराहमिहिर द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ कौनसा है?
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