कैसे करें क्रोध को कंट्रोल | रायपुर चातुर्मास प्रवचन 2022 | श्री ललितप्रभ जी

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Lalit Prabh

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प्रस्तुति : अंतर्राष्ट्रीय साधना तीर्थ, संबोधि धाम, जोधपुर (राजस्थान)
हमें वह कार्य करना चाहिए जिसके करने से खुद को और दूसरों को भी खुशियां मिले, पर क्रोध करने से न हमें खुशी मिलती है और न ही दूसरों को। क्रोध से तनाव बढ़ता है, दिमाग भारी होता है, और हंसी खुशी से भरा माहौल भी बिगड़ जाता है। स्वर्ग उनके लिए है जो अपने गुस्से को काबू में रखते हैं, स्वर्ग उनके लिए है जो दूसरों की गलतियों को माफ कर देते हैं और ईश्वर उन्हीं से प्यार करते हैं जो दयालु और करुणाशील हुआ करते हैं। ये मत कहो कि गुस्सा करने से आदमी नर्क में जाता है, जिस समय आदमी गुस्सा कर रहा होता है उस समय आदमी नर्क में ही होता है। और जब आप किसी को क्षमा कर रहे हैं तो समझो आप स्वर्ग में हैं। सावधान रहें आपका पलभर का गुस्सा आपकी पूरी जिंदगी को चौपट कर सकता है। गुस्सा हमारी हंसी की हत्या करता है, खुशी को खत्म कर देता है और हमारे भीतर की समझदारी को बाहर निकालकर स्वयं भीतर बैठ जाता है।
गुस्से के नुकसान - भोजन करके चौबीस घंटे में आदमी जो ताकत पाता है, केवल एक बार गुस्सा करने से आदमी की वह ताकत खत्म हो जाती है। जिन रिश्तों को बनाने में बीस साल लगा करते हैं, आपका एक पल का गुस्सा उन रिश्तों पर पानी फेर देता है। जिस कॅरियर को बनाने में आदमी को दस साल लगे थे, आदमी का एक मिनट का गुस्सा उस कॅरियर को चौपट कर देता है। यह तो हम सभी जानते हैं कि क्रोध करना बुरा है, पर हम प्राय: यही कहते हैं कि क्या करें गुस्सा आ जाता है। पहली बात मैं यह बता दूं कि गुस्सा कभी भी आता नहीं है, गुस्सा किया जाता है। गुस्से को हम स्वयं पैदा करते हैं। गुस्सैल आदमी और कुत्ते में फर्क केवल इतना ही है कि कुत्ता अपरिचितों पर भौंकता है पर गुस्सैल आदमी अपने परिचितों पर भौंकना शुरू कर देता है।
गुस्सा जब भी आता है अपनी फैमिली को साथ लाता है -
संतश्री ने कहा कि गुस्सा जब भी आता है, कभी अकेला नहीं आता विथ फैमिली आता है। गुस्से के पापाजी हैं घमंडीराम और गुस्से की माता है उपेक्षा बाई। जब-जब आदमी के अंदर अहंकार-घमंड पैदा होता है, और जब-जब आदमी की अपेक्षा उपेक्षित होती है, तब-तब आदमी को गुस्सा आता है। गुस्से की बीवी का नाम है- हिंसा बाई। गुस्सा जब भी आता है तब आदमी मुस्कुराकर पेश नहीं आता, उसकी जबान कड़वी हो जाती है। कड़वे करेले को भी जब हम अच्छा जायकेदार बनाकर खाना जानते हैं तो किसी कड़वे-टेढ़े वचन को अच्छा-सीधा बनाकर हम क्यों नहीं सुन व सह सकते। गुस्से के दो जुड़वा बच्चे भी हैं- एक नाम है बैर और दूसरे का विरोध। गुस्से की दो जुड़वा बेटियां भी हैं- एक निंदा और दूसरी चुगली। गुस्से की एक पोती भी है- थूक फजीती और गुस्से की चाची है- रिश्तों में दूरी।
अपना बड़प्पन दिखाएं, सामने वाले को माफ करें-
गुस्से का यह नियम है कि जब भी आता है नीचे वाले पर आता है और आदमी को नीचे लेकर जाता है। लड़-लड़कर, गुस्सा कर-कर के, हो-हल्ला कर के इंसान ने कभी कुछ पाया नहीं है, इंसान ने जब भी कुछ पाया है तो प्रेम से ही पाया है। तभी तो भगवान महावीर ने 2500 साल पहले मानव जाति को जीवन का यह मंत्र दिया था- मैं सभी जीवों से क्षमा मांगता हूं, सभी जीव मुझे क्षमा करें। जीवन में क्या करो कि जिससे तुम्हारे मुक्ति मार्ग खुल जाए तो, कहते हैं- क्षमा मांग लो और क्षमा कर दो। यही सबसे बड़ा मुक्ति- मंत्र है। जो महिला रात को सोने से पहले अपनी बहू की एक गलती को माफ कर देती है, सुबह उठने से पहले भगवान उसकी हजार गलतियों को माफ कर देते हैं। अगर आप दूसरों की गलतियों को माफ करेंगे तो यह तय मानकर चलना आपकी भी गलतियां माफ की जाएंगी। भयंकर विषधर सर्प चण्डकौशिक अपने पिछले जन्म में एक महातपस्वी संत हुआ करता था, लेकिन एक बार क्रोध करने के कारण वह संत भी मरकर सांप बना। जरा सोचों हमने क्रोध कर-कर के कितने जन्मों तक सांप और बिच्छू बनने की अपनी व्यवस्था कर ली है। इसीलिए अपनी आत्मा को जगाने के लिए आज से संकल्पबद्ध होइए कि मैं किसी पर क्रोध नहीं करुंगा, अपना बड़प्पन दिखाकर सामने वाले को माफ कर देंगे। जब भगवान महावीर कान में कीले ठोंकने वाले को भी माफ कर सकते हैं और भगवान श्रीकृष्ण शिशुपाल की 99 गलतियों को भी माफ कर सकते हैं, तो क्या हम किसी की एक गलती को माफ नहीं कर सकते। यदि हम अपने जीवन में स्वविवेक रखें, अपनी मानसिकता को सही कर लें तो हम अपने गुस्से को काबू कर जीवन की बाजी जीत सकते हैं।
गुस्से पर काबू पाने जीवन में इन मंत्रों को करें लागू
आज से नियम ले लो कि घर पर चीखना-चिल्लाना, गाली-गलौज करना बंद कर दें। जवानी में गुस्से को मंद कर दें। बुढ़ापे में गुस्सा करना बंद कर दें। गुस्से को काबू करना चाहते हैं तो इन मंत्रों को जीवन में लागू कर लें। वे हैं- जब भी क्रोध का वातावरण बने, अपने-आपको अनुपस्थित समझें। दूसरा गुस्सा आ भी जाए तो उसे दूसरी ओर मोड़ दें। सदा मुस्कुराने की आदत डालें। चौथा- स्वयं को शांत सरोवर की भांति बना लें और पांचवा मंत्र है- नेगेटिव या नकारात्मक वातावरण को भी पॉजीटिव या सकारात्मक बनाने का प्रयास करें। छठा मंत्र है- जब भी गुस्सा आए उसे कल पर टाल दें अर्थात गुस्सा चौघड़िया देख कर ही करें। जीवन में हम बड़ी सोच के मालिक बनें। अपने स्वभाव को हमेशा सरल-सकारात्मक बनाए रखें। जब भी बोलें, प्रेम-ईज्जत और माधुर्य भरे शब्दों से बोलें, हमेशा प्रसन्न रहें-मुस्कुराते रहें।

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За кого болели?😂
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МЯТНАЯ ФАНТА
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Natan por Aí
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Noodles Eating Challenge, So Magical! So Much Fun#Funnyfamily #Partygames #Funny
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How to Fight a Gross Man 😡
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Alan Chikin Chow
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