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इस विडिओ में आपको यह मिलेगा की डालर चने का उत्पादन अधिक्तम कैसे प्राप्त किया जाये,ताकि किसान की आय में वृद्धि हो सके,साधारण तरीके से चने की खेती करने से एक एकड़ में जहां 10 से 12 क्विण्टल उत्पादन होता है तो वहीं टेक्निकल तरीके से खेती करने से प्रति एकड़ उत्पादन 22 से 24 क्विण्टल होता हे,जो की परम्परागत तरीको से डालर चने के उत्पादन की तुलना में टेक्निकल खेती के कारण डालर चने का उत्पादन दुगना हुवा हे ,इस विडिओ के माधयम से अपको पता चलेगा जैसा की :- चने की बुवाई से पहले बीजोपचार करना चाहिए या नहीं और अगर करना चाहिए तो क्यों करना चाहिए ,
चने की खेती में रौ से रौ की दुरी कितनी होना चाहिए एवं पौधे से पौधे की दुरी कितनी होना चाहिए ,
चने की खेती में प्रति एकड़ बीज कितना लेना चाहिए,और बोवाई के बाद थिरिंग क्यों करना जरुरी और कब करना चाहिए ,
चने की खेती में ट्राइकोडर्मा कोर सूडोमोनास की क्या भूमिका हे,
साथ ही साथ डालर चने की बीमारियों का कैसा उचित प्रबंधन किया जाये ताकि फिजोरियम और कॉलर रूट जैसे गंभीर बीमारियों से
चने के उत्पादन में कोई फर्क न पड़े,
चने की अधिक उपज के लिए कीटो का प्रबंधन कैसे किया जा सकता हे ,
खाद और उर्वरक का उचित समय क्या हे और कोन कोन से खादो का उपयोग करना सही चने का उत्पादन बढ़ाने के लेने के लिए ,
और क्यों जरुरी हे चने की खेती को व्यापर के रूप में करना ,
चने का अधिक उत्पादन होने से किसानों को ज्यादा मुनाफे की उम्मीद
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