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Song -Teri Chinta Ramji Har Lenge
तु चित से चिंतन करता जा
तेरी चिंता राम जी हर लेगें
तेरे पग ऐ कभी जो डोले तो
वो बढ़के हाथ पकड़ लेगें
तु चित से चिंतन करता जा
तेरी चिंता राम जी हर लेंगे।
वो जानन हारा हर मन की
दुख हरता घट घटवासी है
ना आने देगा आंच कभी
क्यों पगले तुझे उदासी है
जो केवट उसे बना लेंगें
वो भवनिधी हंस के तर लेंगें।
तु चित से चिंतन करता जा
तेरी चिंता राम जी हर लेंगे।
तु देख उसे मन मंदिर में
वो पास तेरे कहीं दुर नहीं
तुझे मनवांछित फल दे देगा
वो दाता है मजबुर नहीं
जो याद करेगें निश्ठा से
वो घड़ी में झोली भर लंेगे
तु चित से चिंतन करता जा
तेरी चिंता राम जी हर लेंगे।
जिस प्रेम से सिंचा सवरी ने
वो सदा ही भक्तो के वष में
तेरी नस नस षीतल हो जाय
तु भींग जा अस्था के रस में
जो उसकी धुन में खो जाय
वो सिद्ध मनोरथ कर लेगें ।
तु चित से चिंतन करता जा
तेरी चिंता राम जी हर लेंगे...
भजो राम सिया राम