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सांग में कथा प्रवाह के लिए भी गायकी का सहारा लिया जाता है। हरियाणा के मशहूर संगीत कार कैलाश चंद्र वर्मा जी ने पहले 2 भागों में सांग की गायकी को लेकर काफी कुछ रोचक बातें बताई। अब पेश है कथा प्रवाह को लेकर ये तीसरा भाग Part-3
हरियाणवी लोक गीतों में लोकजीवन के सभी रंग प्रवाहित होते हैं, लेकिन लोकगीतों के अतिरिक्त अगर बात की जाए तो यहाँ का लोकनाट्य “सांग” भी हरियाणवी लोक जीवन की झांकी है। जी हाँ! जीवन के हर पहलू को रागनी व कथा के माध्यम से मंच पर जीवंत करना ही साँगी की सफलता है। तो आइये लाठर की चौपाल के इस अंक के तीसरे भाग में हम सांग में गायकी के साथ ही हरियाणवी लोक गाथाओं की गायकी व हरियाणवी गायकी में विभिन्न रागों को लेकर करते हैं हरियाणा के मशहूर संगीतकार कैलाश चंद्र वर्मा जी के साथ चर्चा.... ...
सांग के साथ लोक गाथाओं की गायकी पर यह विस्तृत परिचर्चा इसी अंक में समाप्त होती है। कैलाश चंद्र वर्मा जी के साथ हरियाणवी लोक गायकी व संगीत पर परिचर्चा का दौर आगे भी जारी है। जरूर देखते रहें “लोकगीतों में हरियाणवी संस्कृति” के अगले भाग ....