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Lohagarh Fort is a fort located at Bharatpur in Rajasthan, India. It stands as a testament to the strength and ingenuity of the Jat rulers of Bharatpur, particularly Maharaja Suraj Mal, who commissioned its construction in 1732.
लोहागढ़ दुर्ग भारत के राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में स्थित है। भरतपुर के जाट वंश के महाराजा सूरजमल ने 19 फरवरी 1733 ई. में इसका निर्माण कराया था। इस किले पर कई आक्रमण हुए हैं, लेकिन इसे कोई भी नहीं जीत पाया। यह भारत का एकमात्र अजेय दुर्ग है। अतः इसको अजयगढ़ दुर्ग भी कहते हैं। यह दुर्ग सेवर के निकट निर्मित हैं।
यह दुर्ग सेवर के निकट निर्मित हैं। इसके चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर बनी हैं। अतः इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं। किले के चारों ओर एक गहरी खाई हैं, जिसमें मोती झील से सुजानगंगा नहर द्वारा पानी लाया गया है। इस किले में दो दरवाजे हैं। उत्तरी द्वार अष्टधातु का बना है, जिसे जवाहर सिंह जाट 1765 ई॰ में दिल्ली विजय के दौरान लाल किले से उतारकर लाए थे। भरतपुर राज्य के जाट राजवंश के राजाओ का राज्यभिषेक जवाहर बुर्ज में होता था।
इस दुर्ग के अन्दर कई महल और मन्दिर एवं अन्य भवन हैं। इनमें से कमरा खास, किशोरी महल, हंसारानी महल, कचहरी कला, चमन बगीची, हम्माम और मथुरा द्वार, बिनारैन गेट, अटल बन्ध गेट, अनह गेट, कुम्हेर गेट, नीमदा गेट, चन्दपोल गेट आदि की देखरेख राजस्थान सरकार करती है।
जवाहर बुर्ज, अष्टधातु द्वार, दुर्ग की दीवार को घेरे हुए मिट्टी की प्राचीर, दुर्ग की दीवारें और चौबुर्ज द्वार को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित किया गया है।
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