Punjabi Play | Dharabi 1947 |Part - 3| जिस ने 1947 का बंटवारा नहीं देखा वो ये देखे |

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Love U Chandigarh

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Күн бұрын

नाटक की कथा धराबी गावं (अब पाकिस्तान) के तीन युवाओं मोहना जाट सिख, चिरागा ;मुस्लिम और प्रीतम ;खत्री सिख सच्चे दोस्तों के प्रेम के चारों ओर बुनी जाती है। यह कहानी इन तीन दोस्तों के प्रेम के एक मजे़दार दृश्य के साथ साथ समाप्त होती है, जो एक दूसरे की खातिर अपने जीवन को दांव पर लगाते है। विभाजन के दौरान अपने गांव धाराबी के तबाही की कहानी इस तथ्य की गवाही देती है कि भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान इस गांव् के मुस्लमानों ने हिन्दु और सिखों को बचाने के लिए मुस्लिम दंगाइयों को मार डाला था। आसपास के गांवो के हिंदुओं और सिखों ने भी इस गांव में शरण ली थी। सेना के आने तक सभी हिंदुओं और सिखों को सुरक्षित रखा था। धाराबी गांव की यह कहानी मुस्लमानों के मानवीय भाईचारे व दोस्ती और महिमा की कहानी है। इस नाटक से पता चलता है कि विभाजन के दौरान निर्दोष लोगो के सम्मान और संबंधों का कैसे उखाड़ फैंका गया था। मोहन, चिराग और प्रीतम जैसे छोटे बच्चों के सपनों और दोस्ती कैसे टूट गई। अतः में यह विभाजन की एक मार्मिक कहानी है। यह नाटक सरबत दा भला चैरिटेबल र्टस्ट द्ववारा प्रायोजन के तहत लिखा और तैयार किया गया है।यह नाटक एक प्रसिद्ध सिख विद्वान डाॅ सरबजीत सिंह की भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बारे में की पुस्तक दीजे बुद्व बिबेका पर आधारित है।
मंच पर
चंद
अवतार सिंह
गुरूदेव सिंह
अतिंदरपाल सिंह
भूपिंदर सिंह
परमिंदर सिंह
प्रदीप कुमार
गुदविंदर सिंह
नवजोत सिंह
जर्मनदीप सिंह
सिमरनजीत सिंह
इंधरवीर कौर
परमजीत कौर
परमिंदर कौर
सुरइया
संदीप कौर
गुरप्रीत कौर
जरनैल सिंह
काशा राम
बलजींदर कौर
सुखजीत कौर
मनिन्दर सिंह
राकेश कुमार
अरमानजीत कौर
पुनीत खन्ना
खुशवंत सिंह
करनवीर सिंह
हरमदीप सिंह
सुखदीप सिंह
This play is based on a renowned Sikh scholar Dr. Sarbjinder Singh’s book about the partition of India and Pakistan, ‘Deejey Budh Bibeka’. The narrative of the play Dhrabi Village (Pakistan) is woven around the pure love of three young men Mohna (Jatt Sikh), Chiraga (Muslim) and Preetam (Khatri Sikh). The story ends with a poignant scene of the chaste and pure love of these three friends who put their lives at stake for the sake of each other. The story of the devastation of their village Dhrabi during partition bears testimony to the fact that how during the partition of India and Pakistan, the Muslims of this village had killed Muslim rioters in order to save Hindus and Sikhs. The Hindus and Sikhs of nearby villages had also taken shelter in this village. They had kept all the Hindus and Sikhs safe until the army had arrived. This tale of Dhrabi Village is a tale of human brotherhood, friendship and glory of the Muslims. The play shows that during the partition, how the honour and relationships of innocent people were mauled. How the dreams and friendships of young children like Mohna, Chiraga and Preetam were mutilated. In the end it’s a poignant tale of partition. The play is written and produced under a project sponsored by Sarbat Da Bhala Charitable Trust.

Пікірлер: 1
@LOVEUCHANDIGARH
@LOVEUCHANDIGARH 6 жыл бұрын
बंटवारे का दर्द ब्यान करता एक मार्मिक ड्रामा , अवश्य देखें।
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