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अफोर्डेबल / लो कॉस्ट हॉउस किसे कहते हैं।
वह घर जिसे कम से कम खर्च में बनाया जा सके जो कि आपकी सभी जरूरतों को भी पूरा करता हो। इन घरों में आमतौर पर सस्ते सामग्रियों का उपयोग, कुशल डिज़ाइन और सरल निर्माण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ताकि कुल लागत कम हो सके। ये घर अक्सर स्थिरता, ऊर्जा दक्षता और जगह के सही उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि मालिक को दीर्घकालिक बचत हो सके।
लो कॉस्ट हॉउस तीन चीजों पर निर्भर करता है।
पहला घर का डिज़ाइन, दूसरा मटेरियल और तीसरा लेबर कॉस्ट।
पहले डिज़ैन की बात करते हैं।
घर की आधी कीमत, आप डिज़ाइन से ही कम कर सकते हैं। घर का एरिया जितना सिंपल और छोटा होगा, उतना ही कम पैसा लगेगा। घर का डिज़ाइन बनवाते समय अपनी जरूरत पर ध्यान दें, न कि इच्छाओं पर। बेकार के एरिया प्लान में ना जोड़ें जैसे कि पैसेज या कॉरिडोर, एंट्रेंस फ़ोयर, ड्रेसिंग रूम, स्विमिंग पूल या टीवि रूम। फॉल्स सीलिंग के चक्कर में ना पड़े, लाइट और वायरिंग से ही बजट बिगड़ जाएगा, जितनी जरूरत हो सिर्फ उतनी ही स्विच बोट ड्राइंग में बनवाएं। बहुउपयोगी एरिया प्लान करें, जैसे कि एक हॉल जो मेहमान आने पर बैठने के काम आएगा, खाना खाने के लिए डाइनिंग एरिया का काम करेगा, टीवि देखने के लिए लिविंग रूम का काम करेगा। अगर एरिया कम है तब ओपन फ्लोर प्लानिंग करने की कोशिश करें, मतलब जीतने भी कॉमन एरिया है, उसके बिच दिवार ना बनाएं और दरवाज़े ना दें जैसे कि किचन और हॉल। कॉमन टॉयलेट प्लान करें ना कि हर एक बैडरूम के लिए अलग - अलग टॉयलेट। ऐसी प्लानिंग करने से घर का एरिया कम हो जाएगा।
बहुउपयोगी फर्निचर का इस्तेमाल करें।
जैसे कि सोफा जो जरूरत पड़ने पर बेड में बदल जाए, सुगठित स्टोरेज एरियर जैसे कि अलमारी, मॉडुलर किचन भी बहुत स्पेस बचाता है।
लो कॉस्ट हॉउस का मतलब सिर्फ घर बनाते समय ही नहीं बल्कि बनने के बाद भी रखरखाव में कम खर्च आए ऐसा होना चाहिए। हर एक रूम में बराबर साइज के खिड़की प्लान करें ताकि दिन में बिजली की ज्यादा जरूरत ना पड़े। घर में गार्डन एरिया जरूर रखें ताकि कुछ पेड़ और सब्जियां उगा सके, पेड़ से घर पर छाव रहेगा, घर ठंडा रहेगा। हो सके तो सोलर पैनल भी लगवाएं, बिजली की बचत होगी।
RSDC Buildcon कम दर में घर डिज़ाइन का काम करती है, हम लो कॉस्ट हॉउस डिज़ाइन का भी काम करते हैं, अगर आपको डिज़ाइन करवाना है तो अभी इस नंबर पर कॉल करें 8234030892 या हमारे वेबसाइट rsdcbuildcon.com पर विजिट करें।
हमने घर के बुनियादी डिज़ाइन के बारे में बात कर ली है, अब बात करते हैं मटेरियल्स की।
ऐसे मटेरियल का चयन करें जो आपके शहर में आसानी से उपलब्ध हो, जो मटेरियल आसानी से मिल जाएगा उसकी कीमत भी कम होगी। ज्यादातर शहरों में फ्लाइ एस ब्रिक्स जिसे काला ईटा भी कहते हैं, आराम से मिल जाता है और सस्ता भी होता है। रॉड और सीमेंट भी ऐसे कंपनी का लगाएं जिसकी कीमत कम हो, सिर्फ घर के छत की ढलाई में देश का नंबर वॅन सीमेंट इस्तेमाल कर सकते हैं।
फिनिशिंग आइटम्स जैसे कि दरवाज़े, खिड़की, टाइल्स, ग्रेनाइट, रेलिंग स्विचबोर्ड, एम सी बी, सैनिटरी फिक्सचर्स, मीडियम रेंज वाला चुने। जो भी सामान आप घर में लगाएंगे, ध्यान रहे उसकी गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए और रखरखाव में कम ख़र्चीला होना चाहिए। सिर्फ ब्रांड के पीछे ना भागे वरना रखरखाव में आपका बजट बिगड़ जाएगा।
अब बात करते हैं लेबर पर होने वाले खर्च की।
कॉंट्रॅक्टर की कमाई लेबर के काम करने के समय पर निर्भर करती है, लेबर कम समय में जितना ज्यादा काम करेगा, कॉंट्रॅक्टर उतना ही पैसा कमाएगा। कॉंट्रॅक्टर आपका घर अच्छे से बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। लेबर में आपको पैसे नहीं बचाने हैं, ऐसे लोगों को काम दीजिए जो अच्छा काम करते हैं, कम दर के चक्कर में ना पड़े। लेबर कम समय में ज्यादा काम करने की कोशिश करेगा और जितना समय एक काम में देना चाहिए वो नहीं देगा, काम अच्छा नहीं होगा और आपका सारा मटेरियल बर्बाद हो जाएगा। अच्छा काम नहीं होगा तो जिंदगी भर के लिए रखरखाव का खर्चा बढ़ जाएगा। आपका लो कॉस्ट हॉउस, हाई कॉस्ट हॉउस में तब्दील हो जाएगा।
तो हमने इस आर्टिकल से क्या सीखा?
पहला कि लो कॉस्ट हॉउस बनाने की शुरुआत डिज़ाइन अवस्था में ही हो जानी चाहिए, दूसरा कम दर का लेकिन अच्छा और कम रखरखाव वाला मटेरियल लगाना है, और तीसरा अच्छे कॉंट्रॅक्टर को काम देना है, काम अच्छा होगा तो लॉन्ग टर्म में पैसे बचेंगे।