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प्रधानमंत्री के भाषणों को पढ़िए, सुनिए, देखिए कि जिस नेता का इतना प्रचार हो रहा है, उनके काम को लेकर इतने दावे किए जा रहे हैं उनके भाषण में जोश कब आता है, लोग ताली कब बजाते हैं? जब वे काम की बात बताते हैं तब या धर्म का नाम लेते हैं तब? अगर आप प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से मुस्लिम लीग, शक्ति का अपमान, राम मंदिर, रामनवमी, राम का अपमान निकाल दें तो भाषण में कुछ बचता ही नहीं, कम से कम ताली बजाने लायक़ तो कुछ नहीं बजता है। पूरे भाषण में जान डालने के लिए इन्हीं मुद्दों को भरा जाता है। ये हालत तब है जब उन्होंने सरकार में रहते हुए दस साल पूरे कर लिए हैं। यह चुनाव धार्मिक मुद्दों के लिए नहीं हो रहा है मगर भाषण में धर्म और धार्मिक मुद्दे न हो तो प्रधानमंत्री कोई चुनाव लड़ ही नहीं सकते हैं।
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/ @ravishkumar.official
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