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माँ दुर्गा के बत्तीस नाम जिनको सुनने से होता है हमारे दुःखो का निवारण ।
दुख-परेशानी या कठिनाई के समय इन नामों का उच्चारण किया जाए तो दुख अल्प समय में ही दूर हो जाता है।
१ दुर्गा, २ दुर्गार्तिशमनी, ३ दुर्गापिद्विनिवारिणी, ४ दुर्गमच्छेदिनी, ५ दुर्गसाधिनी, ६ दुर्गनाशिनी, ७ दुर्गतोद्धारिणी, ८ दुर्गनिहन्त्री, ९ दुर्गमापहा, १० दुर्गमज्ञानदा, ११ दुग्दैत्यलोकदवानला, १२ दुर्गमा, १३ दुर्गमालोका, १४ दुर्गमात्मस्वरूपिणी, १५ दुर्गमार्गप्रद, १६ दुर्गमविद्या, १७ दुर्गमाश्रिता, १८ दुर्गमज्ञानसंस्थाना, १९ दुर्गमध्यानभासिनी, २० दुर्गमोहा, २१ दुर्गमगा, २२ दुर्गमार्थस्वरूपिणी, २३ दुर्गमासुरसंहन्त्री, २४ दुर्गमायुधधारिणी, २५ दुर्गमाङ्गी, २६ दुर्गमता, २७ दुर्गम्या, २८ दुर्गमेश्वरी, २९ दुर्गभीमा, ३० दुर्गभामा, ३१ दुर्गभा, ३२ दुर्गदारिणी ।
जो मनुष्य मुझ दुर्गाकी इस नाममालाका पाठ करता है, वह नि:सन्देह सब प्रकारके भयसे मुक्त हो जायगा।'
एक समयकी बात है, ब्रह्मा आदि देवताओंने पुष्प आदि विविध उपचारॉसे महेश्वरी दुर्गाका पूजन किया। इससे प्रसन्न होकर दुर्गतिनाशिनी दुर्गाने कहा- ‘देवताओ! मैं तुम्हारे पूजनसे संतुष्ट हूँ, तुम्हारी जो इच्छा हो, माँगो, मैं तुम्हें दुर्लभ-से-दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूंगी।' दुर्गाका यह वचन सुनकर देवताबोले-'देवि! हमारे शत्रु महिषासुरको, जो तीनों लोकोंके लिये कंटक था, आपने मार डाला, इससे सम्पूर्ण जगत् स्वस्थ एवं निर्भय हो गया। आपकी ही कृपासे हमें पुन: अपने-अपने पदकी प्राप्ति हुई है। आप भक्तोंके लिये कल्पवृक्ष हैं, हम आपकी शरणमें आये हैं। अत: अब हमारे मनमें कुछ भी पानेकोअभिलाषा शेष नहीं है। हमें सब कुछ मिल गया; तथापि आपकी आज्ञा है. इसलिये हम जगत्की रक्षाके लिये आपसे कुछ पूछना चाहते हैं। महेश्वरि ! कौन-सा ऐसा उपाय है, जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकटमें पड़े हुए। जीवकी रक्षा करती हैं। देवेश्वरि ! यह बात सर्वथा गोपनीय हो तो भी हमें अवश्य बतावें ।'देवताओंके इस प्रकार प्रार्थना करनेपर दयामयी दुर्गादेवीने कहा-
‘देवगण ! सुनो-यह रहस्य अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ है। मेरे बत्तीस नामोंकी माला सब प्रकारकी आपत्तिका विनाश करनेवाली है। तीनों लोकोंमें इसके समान दूसरी कोई स्तुति नहीं है। यह रहस्यरूप है। इसे बतलातो हूँ, सुनो-
दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी ।दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥
दर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा ।दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ॥
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी ।दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ॥
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी ।दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी॥
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी ।दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ॥
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी ।नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानवः ॥
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ॥
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