Рет қаралды 12,159
मोतीटाॅका देवगढ़
क्या यह पारस पत्थर है
क्या यहाँ जिन्न रहते हैं
Devgarh Fort Treasure
देवगढ़ किला - मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक और रहस्यमय किला
छिंदवाड़ा से 42 किलोमीटर की दूरी पर विकास खंड मोहखेड़ के देवगढ़ ग्राम में 650 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर देवगढ़ किला स्थित है यह किला घने जंगलों के साथ ही चारों ओर एक गहरी खाई से घिरा हुआ है।
यह किला 16वीं सदी में गोंड राजाओं द्वारा निर्मित माना जाता है। देवगढ़ का कोई प्रत्यक्ष लिखित इतिहास प्राप्त नहीं होता है। परंतु बादशाहनामा व अन्य मुगल साहित्य में देवगढ़ की चर्चा की गई है। अकबर के समय देवगढ़ पर जाटवा शाह राज्य करता था।
किसी समय इस क्षेत्र का सिरमौर रहा देवगढ़ का यह आलीशान किला, वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। घाटीदार मार्ग से चढ़ते हुए किले का सिंह द्वार सामने आता है, जो मजबूत पत्थरों से बना है एवं वर्तमान में अच्छी स्थिति में है। पुनः पत्थरों की सीढ़ियों का घुमावदार रास्ता और दूसरा कमानीदार द्वार आता है। आगे बढ़ने पर देवगढ़ के किले के अंदर पहुंचते हैं।
किले के अंदर एक नगारखाना जो तिमंजिला है। पास ही एक तालाब नुमा टांका है, जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता है। इसे मोती टांका कहते हैं। इसी प्रकार हाथीखाना, कचहरी, राजा की बैठक, बादल महल तथा खजाना आदि दर्शनीय है।
जन श्रुति है कि किले का दरवाजा जिसे कई कर्मचारी मिलकर लगाते थे, उसे जाटवा शाह ने अकेले ही उठाकर लगा दिया। उसकी ताकत के किस्सों से घबराकर रनसूर एवं घनसूर गौली सरदारों ने षड्यंत्र कर, दशहरे के अवसर पर चंडी देवी की पूजा की बलि के अवसर पर, एक लकड़ी की तलवार से भैंसे की बलि का आदेश दिया।जाटवा शाह ने अपने शक्तिशाली वार से भैंसे की बलि दे दी, एवं तत्काल ही उसी तलवार से रनसूर एवं घनसूर गौली सरदारों की हत्या कर दी। वह लकड़ी की तलवार आज भी ग्राम कटकुही के पास ग्राम उमरघोड़ा विकासखंड जुन्नारदेव में किसी के पास मौजूद है।
देवगढ़ ग्राम के समीप बहने वाले नाले के पास चट्टानों स्थित चट्टानों पर कुछ देवी देवताओं के शैल चित्र उकेरे गए हैं। एक चट्टान में अष्टभुजा रणचंडी का शैल चित्र उकेरा हुआ है। आसपास क्षेत्र के लोग कुलदेवी के रूप में यहां पूजा करते हैं। यहां चैत्र और क्वांर माह की नवरात्रि में मेला भरता है।
जिस देवगढ़ ने अतीत में कभी इतिहास रचा था। आज वह खुद इतिहास बनकर रह गया है। जहां के घने जंगलों में कभी हाथियों की चिंघाड़ गूंजा करती थी, आज वहां एक भी हाथी नहीं है।
ऐसा वीरान हो गया है देवगढ़ !!
Subscribe, Share and Support with your suggestion for betterment....
#Discoverindiaa #क्यायहाँजिन्नरहतेहैं #Devgarh_Fort_Treasure