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प्रिय दर्शकों, भगवान शिव कहते है, माता पिता को कष्ट देने वाली संतान को कौनसा पाप लगता है? और कलियुग में मुक्ति का सबसे सरल मार्ग कौनसा है? मित्रों, इस कथा के पहले भाग में हमने जाना की कैसे एक पुत्र अपने ही माता पिता का वैरी बन जाता है, और किस तरह से वह अपने माता पिता को कष्ट देकर उनके मृत्यु का कारक बनता है।
धुंधुकारी के पापों की तथा उसके भाई गौकर्ण की अधूरी कथा सुनाता हूँ। हे नारद, किस प्रकार से गौ के गर्भ से जन्मे गोकर्णजी ने अपने सौतेले भाई धुन्धुकारीका भागवत-कथासे, प्रेतयोनि से उद्धार तथा समस्त श्रोताओं को परमधामकी प्राप्ति का सरल मार्ग बताया था। जो भी इस कथा का श्रवण ध्यान पूर्वक पूरा करता है, मैं उनके सौ अपराधों को क्षमा करता हुं, और मृत्यु के बाद उस प्राणी को परम मोक्ष की प्राप्ति होती है।
किस पाप के कारण दुख देने वाली संतान प्राप्त होती है,
दुख देने वाली संतान को कोनसा पाप लगता है,
निसन्तान को पुत्र कैसे प्राप्त होता है,
किस पाप के कारण स्त्री विधवा होती है,
धुँधुकारी और गौकर्ण की कथा,
श्रीमदभागवत कथा का महात्म,
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