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🙏बहुत ही सुन्दर भजन एक बार सुनकर देखिये आपका मन खुश हो जायेगा
बनभौरी माता के भगत जो भी इस भजन को सुन रहे हैं उनसे अनुरोध है कि बनभौरी माता का यह भजन हर उस व्यक्ति को भेजें जिसने भी बनभौरी धाम की महिमा के बारे में सुना है माता की अपार कृपा बरसेगी बोलो बनभौरी धाम की जय
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Song: Hey Bhanbhori Wali Maa
Singer: Sonu Singla ( 9355096519)
Music: BInny Narang (9991980610)
Video Shalini Sharma (7015960610)
Lyricist: Devender
Category: Hindi Devotional ( Mata Ka Bhajan)
हे बनभौरी वाली माँ मेरी किस्मत खोल दे
मैं तेरा हूँ तुम मेरी हो बस इतना बोल दे
ना धन चाहिए ना दौलत ना शौहरत नाम की
मैं सेवा करना चाहू बस तेरे धाम की
ना तनख्वाह चाहिए मैया बस बेटा बोल दे
दर दर की ठोकर खाकर तेरे दर पे आया हूँ
हे बनभौरी वाली मैया जग ने ठुकराया हूँ
तेरे आँचल का यो पल्ला माँ ईब तो खोल दे
मेरा जीवन तेरे हवाले ओ बनभौरी वाली
तूने जब से सर पे हाथ रखा हर रोज है दिवाली
देवेंद्र की भी मैया इन भगतो की भी मैया
तू किस्मत खोल दे
बनभोरी देवी मंदिर एक पवित्रतम हिंदू मंदिरों में से एक है, जो शाक्ति को समर्पित है, जो बनभोरी तहसील बरवाला जिला हिसार (हरियाणा) में स्थित है।
यह बरवाला से 15 किमी और उचाना मंडी से 15 किमी, दिल्ली से 165 किमी और चंडीगढ़ से 195 किमी दूर है हिंदी में बनभोरी देवी, जिसे माता रानी और भ्रामरी देवी के नाम से भी जाना जाता है, देवी मां का एक रूप है। यह मंदिर हिसार जिले (हरियाणा राज्य) में नरवाना शहर, बरवाला से है, यह भारत में पूजा स्थल है। इस देश के उत्तर क्षेत्र में विशेष रूप से। कहा जाता है कि हर साल लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं द्वारा तीर्थयात्रियों का दौरा (यात्रा) किया जाता है और यह हरियाणा राज्य में धार्मिक तीर्थ यात्रा के लिए सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है।
(भ्रामरी देवी मंदिर का महत्व)
🌹 जय माँ बनभौरी 🌹 🌴 ( माता भ्रामरी देवी )
ऐतिहासिक शक्तिपीठ माता बनभौरी धाम में माता भ्रामरी देवी की सच्चे मन से मांगी गई हर श्रद्धालु की मन्नत पूरी करती है। बनभौरी धाम में भक्तजन मन्नतों का धागा बांध कर मुरादें मांगते हैं तथा उनके पूरा होने पर फिर सिर झुकाने व दरबार में हाजिरी लगाने मां के चरणों में आते हैं
देवताओं की सहायता के लिए देवी ने अनेक अवतार लिए। भ्रामरी देवी का अवतार लेकर देवी ने अरुण नामक दैत्य से देवताओं की रक्षा की। इसकी कथा इस प्रकार है-
पूर्व समय की बात है। अरुण नामक दैत्य ने कठोर नियमों का पालन कर भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव प्रकट हुए और अरुण से वर मांगने को कहा। अरुण ने वर मांगा कि कोई युद्ध में मुझे नहीं मार सके, न किसी अस्त्र-शस्त्र से मेरी मृत्यु हो, स्त्री-पुरुष के लिए मैं अवध्य रहूं और न ही दो व चार पैर वाला प्राणी मेरा वध कर सके। साथ ही मैं देवताओं पर विजय प्राप्त कर सकूं।
ब्रह्माजी ने उसे यह सारे वरदान दे दिए। वर पाकर अरुण ने देवताओं से स्वर्ग छीनकर उस पर अपना अधिकार कर लिया। सभी देवता घबराकर भगवान शंकर के पास गए। तभी आकाशवाणी हुई कि सभी देवता देवी भगवती की उपासना करें, वे ही उस दैत्य को मारने में सक्षम हैं। आकाशवाणी सुनकर सभी देवताओं ने देवी की घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर देवी ने देवताओं को दर्शन दिए। उनके छह पैर थे। वे चारों ओर से असंख्य भ्रमरों (एक विशेष प्रकार की बड़ी मधुमक्खी) से घिरी थीं। उनकी मुट्ठी भी भ्रमरों से भरी थी।
भम्ररों से घिरी होने के कारण देवताओं ने उन्हें भ्रामरीदेवी के नाम से संबोधित किया। देवताओं से पूरी बात जानकार देवी ने उन्हें आश्वस्त किया तथा भ्रमरों को अरुण को मारने का आदेश दिया। पल भर में भी पूरा ब्रह्मांड भ्रमरों से घिर गया। कुछ ही पलों में असंख्य भ्रमर अतिबलशाली दैत्य अरुण के शरीर से चिपक गए और उसे काटने लगे। अरुण ने काफी प्रयत्न किया लेकिन वह भ्रमरों के हमले से नहीं बच पाया और उसने प्राण त्याग दिए। इस तरह देवी भगवती ने भ्रामरीदेवी का रूप लेकर देवताओं की रक्षा की।
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