Bhut Sundar geet ❤❤❤ jai mata di AP assse hi hasste raho
@binodtaparia82799 ай бұрын
Jai Ganesh Jai bholenath jai mata durga Laxmi Narayan radhe shyam Sita Ram katyayani mata mahakali shiva Parvati sarswati mata khamhaya mata
@jaysharma80943 жыл бұрын
Jai mata di om namo shivay
@ranisinghbharatkitchen Жыл бұрын
nice
@pinkishastri4999 Жыл бұрын
Vari vari vari vari vari Sundar bajan
@MenkaKadiyan9 ай бұрын
😮😮 9:19 sari sari sari sari di ammu ammu na 😊enna sollanum sollanum than than therium therium un manasula manasula durga durga mata mata mata ji 😅rani rani ki kasam kasam se ji 😅
@PradeepKumar-uk6hi2 жыл бұрын
Ati sundar bhajan mata rani apni krapa bnaye rkhna Jay Mata di radhey radhey 🙏🙏🙏
@sudhasinghsingh62083 жыл бұрын
Bahut hi Sunder bhajan 👌👌👌 Jai mata di 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌺🌹🌹🌺🌹🌹🌺🌹🌺🌹
@LilamDevi-ht6eq3 ай бұрын
🔥🔥🔥🔥🔥
@LilamDevi-ht6eq3 ай бұрын
Blessing
@LilamDevi-ht6eq3 ай бұрын
Cutting Shuuuuuuu F dbdjfkdgsud didi Dddd🌜🌜🌜🌜
@shantikaam37952 жыл бұрын
*जय श्री राम🚩🙏🚩 सीताराम जी* हनुमानजी को प्रभु श्रीराम संगम तट पर मिल जाते, तो रामायण-? प्रयाग के दक्षिणी तट पर झूंसी नामक स्थान है जिसका प्राचीन नाम पुरुरवा था। कालांतर में इसका नाम उलटा प्रदेश पड़ गया। फिर बिगड़ते बिगड़ते झूंसी हो गया। उल्टा प्रदेश पड़ने का कारण यह है कि यहां शाप के चलते सब कुछ उल्टा पुल्टा था। यहां के महल की छत नीचे बनी है जो आज भी है। इसकी खिड़कियां ऊपर तथा रोशन दान नीचे बने हैं। यानी कि सब कुछ उलटा। मान्यता अनुसार उलटा प्रदेश इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां भगवान शिव अपनी पत्नीं पार्वती के साथ एकांत वास करते थे तथा यहां के लिए यह शाप था कि जो भी व्यक्ति इस जंगल में प्रवेश करेगा वह औरत बन जाएगा। मतलब उल्टा होगा। त्रेतायुग में श्रीराम को जब अपनी माता कैकेयी के शाप से वनवास हुआ तो उनके कुल पुरुष भगवान सूर्य बड़े ही दुखी हुए। उन्होंने हनुमान जी को आदेश दिया कि वनवास के दौरान राम को होने वाली कठिनाईयों में सहायता करोगे। चूंकि हनुमान ने भगवान सूर्य से ही शिक्षा दीक्षा ग्रहण की थी। अतः अपने गुरु का आदेश मान कर वह प्रयाग में संगम के तट पर आकर उनका इंतजार करने लगे। कारण यह था कि वह किसी स्त्री को लांघ नहीं सकते थे। गंगा, यमुना एवं सरस्वती तीनों नदियां ही थी। इसलिए उनको न लांघते हुए वह संगम के परम पावन तट पर भगवान राम की प्रतीक्षा करने लगे। जब भगवान राम अयोध्या से चले तो उनको इस झूंसी या उलटा प्रदेश से होकर ही गुजरना पड़ता, लेकिन प्रचलित मान्यता अनुसार शिव के शाप के कारण उन्हें स्त्री बनना पड़ता। इसलिए उन्होंने रास्ता ही बदल दिया। एक और भी कारण भगवान राम के रास्ता बदलने का पड़ा। यदि वह सीधे गंगा को पार करते तो यहां पर प्रतीक्षा करते हनुमान सीधे उनको लेकर दंडकारण्य उड़ जाते तथा बीच रास्ते में अहिल्या उद्धार, शबरी उद्धार तथा तड़का संहार आदि कार्य छूट जाते। यही सोच कर भगवान श्रीराम ने रास्ता बदलते हुए श्रीन्गवेर पुर से गंगाजी को पार किया। चूंकि भगवान श्रीराम के लिए शर्त थी कि वह वनवास के दौरान किसी गांव में प्रवेश नहीं करेगें तो उन्होंने इस शर्त को भी पूरा कर दिया। इस बात को प्रयाग में तपस्यारत महर्षि भारद्वाज भली भांति जानते थे। वह भगवान श्रीराम की अगवानी करने के पहले ही श्रीन्गवेरपुर पहुंच गए, भगवान राम ने पूछा कि हे महर्षि! मैं रात को कहां विश्राम करूं? महर्षि ने बताया कि एक वटवृक्ष है। हम चल कर उससे पूछते हैं कि वह अपनी छाया में ठहरने की अनुमति देगा या नहीं। कारण यह है कि तुम्हारी माता कैकेयी के भय से कोई भी अपने यहां तुमको ठहरने की अनुमति नहीं देगा। सबको यह भय है कि कही अगर वह तुमको ठहरा लिया, तथा कैकेयी को पता चल गाया तो वह राजा दशरथ से कहकर दंड दिलवा देगी। इस प्रकार भगवान राम को लेकर महर्षि भारद्वाज उस वटवृक्ष के पास पहुंचे। भगवान राम ने उनसे पूछा कि क्या वह अपनी छाया में रात बिताने की अनुमति देगें। इस पर उस वटवृक्ष ने पूछा कि मेरी छाया में दिन-रात पता नहीं कितने लोग आते एवं रात्री विश्राम करते हैं लेकिन कोई भी मुझसे यह अनुमति नहीं मांगता। क्या कारण है कि आप मुझसे अनुमति मांग रहे हैं? महर्षि ने पूरी बात बताई। वटवृक्ष ने कहा, 'हे ऋषिवर! यदि किसी के दुःख में सहायता करना पाप है। किसी के कष्ट में भाग लेकर उसके दुःख को कम करना अपराध है तो मैं यह पाप और अपराध करने के लिये तैयार हूं। आप निश्चिन्त होकर यहां विश्राम कर सकते हैं और जब तक इच्छा हो रह सकते हैं।' यह बात सुन कर भगवान राम बोले 'हे वटवृक्ष! ऐसी सोच तो किसी मनुष्य या देवता में भी बड़ी कठनाई से मिलती है। आप वृक्ष होकर यदि इतनी महान सोच रखते हैं तो आप आज से वटवृक्ष नहीं बल्कि 'अक्षय वट' हो जाओ। जो भी तुम्हारी छाया में क्षण मात्र भी समय बिताएगा उसे अक्षय पुण्य फल प्राप्त होगा और तब से यह वृक्ष पुराण एवं जग प्रसिद्ध अक्षय वट के नाम से प्रसिद्ध होकर आज भी संगम के परम पावन तट पर स्थित है। जय श्री राम🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
@VinodKumar-ln6xb2 жыл бұрын
Jay Mata Vaishno Devi Katra Jambu 🔱🔱🔱🔱🔱🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🪔🪔🪔🪔🪔🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳👏👏👏👏👏🦁🦁🦁🦁🦁🦁🛕🛕🛕🛕🛕🙏🙏🙏🙏🙏🌼🌼🌼
@sunny99ff46 Жыл бұрын
Super💓💓💓💖
@rishikamanhas36163 жыл бұрын
Rishika 👏👏🥰🥰
@gitasingh93 жыл бұрын
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श्री दुर्गा माँ के 108 नाम (अर्थ सहित)🌻* 🌸〰️🌸〰️🌸〰️🌸 1🔱सती- अग्नि में जल ! कर भी जीवित होने वाली 2.🔱साध्वी- आशावादी ! 3🔱भवप्रीता- भगवान् ! शिव पर प्रीति रखने वाली ! 4🔱भवानी- ब्रह्मांड की निवासिनी ! 5🔱भवमोचनी- संसार को बंधनों से मुक्त करने वाली ! 6🔱आर्या- देवी ! 7🔱दुर्गा- अपराजेय ! 8🔱जया- विजयी ! 9🔱आद्य- शुरूआत की वास्तविकता ! 10🔱त्रिनेत्र- तीन आँखों वाली ! 11🔱शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली ! 12🔱पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली ! 13🔱चित्रा- सुरम्य,सुंदर ! 14🔱चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली ! 15🔱महातपा- भारी तपस्या करने वाली ! 16🔱मन - मनन- शक्ति ! 17🔱बुद्धि- सर्वज्ञाता ! 18🔱अहंकारा- अभिमान दूर करने वाली ! 19🔱चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है ! 20🔱चिता- मृत्युशय्या ! 21🔱चिति- चेतना ! 22🔱सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली! 23🔱सत्ता- सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है! 24🔱सत्यानन्दस्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप! 25🔱अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं! 26🔱भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत! 27🔱भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य! 28🔱भव्या- कल्याणरूपा,भव्यता के साथ! 29🔱अभव्या - जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं! 30🔱सदागति- हमेशा गति में, मोक्ष दान! 31🔱शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी! 32🔱देवमाता- देवगण की माता! 33🔱चिन्ता- चिन्ता हरने वाली ! 34🔱रत्नप्रिया- गहने से प्यार! 35🔱सर्वविद्या- प्रत्येक ज्ञान का स्तोत्र ! 36🔱दक्षकन्या- दक्ष की बेटी! 37🔱दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली! 38🔱अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न ग्रहण करने वाली! 39🔱अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली! 40🔱पाटला- लाल रंग वाली! 41🔱पाटलावती- गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली! 42🔱पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली! 43🔱कलामंजीरारंजिनी- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली! 44🔱अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं! 45🔱विक्रमा- असीम पराक्रमी! 46🔱क्रूरा- दैत्यों के प्रति कठोर! 47🔱सुन्दरी- सुंदर रूप वाली! 48🔱सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर! 49🔱वनदुर्गा- जंगलों की देवी! 50🔱मातंगी- मतंगा की देवी! 51🔱मातंगमुनिपूजिता- बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय! 52🔱ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति! 53🔱माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति! 54🔱इंद्री- इन्द्र की शक्ति! 55🔱कौमारी- किशोरी! 56🔱वैष्णवी- अजेय! 57🔱चामुण्डा- चंड और मुंड का नाश करने वाली! 58🔱वाराही- वराह पर सवार होने वाली! 59🔱लक्ष्मी- सौभाग्य की देवी! 60🔱पुरुषाकृति- वह जो पुरुष रूप धारण कर ले! 61🔱विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली! 62🔱ज्ञाना- ज्ञान से संपन्न ! 63🔱क्रिया- हर कार्य में निपुण: ! 64🔱नित्या- अनन्त! 65🔱बुद्धिदा- ज्ञान देने वाली! 66🔱बहुला- विभिन्न रूपों वाली! 67🔱बहुलप्रेमा- सर्व प्रिय! 68🔱सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली! 69🔱निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली! 70🔱महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली! 71🔱मधुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली! 72🔱चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली! 73🔱सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली! 74🔱सर्वदानवघातिनी- संहार के लिए शक्ति रखने वाली! 75🔱सर्वशास्त्रमयी- सभी सिद्धांतों में निपुण! 76🔱सत्या- सच्चाई की मूरत! 77🔱सर्वास्त्रधारिणी- समस्त हथियारों को धारण करने वाली! 78🔱अनेकशस्त्रहस्ता- हाथों में कई हथियार धारण करने वाली! 79🔱अनेकास्त्रधारिणी- अनेक हथियारों को धारण करने वाली! 80🔱कुमारी- सुंदर किशोरी! 81🔱एककन्या- कन्या! 82🔱कैशोरी- जवान! 83🔱युवती- नारी! 84🔱यति- तपस्वी! 85🔱अप्रौढा- जो कभी पुराना ना हो,चिरयोवनी ! 86🔱प्रौढा- जो पुराना है! 87🔱वृद्धमाता- शिथिल! 88🔱बलप्रदा- शक्ति देने वाली! 89🔱महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली! 90🔱मुक्तकेशी- खुले बाल वाली! 91🔱घोररूपा- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली! 92🔱महाबला- अपार शक्ति वाली! 93🔱अग्निज्वाला- मार्मिक आग की तरह! 94🔱रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरे वाली ! 95🔱कालरात्रि- काले रंग वाली! 96🔱तपस्विनी- तपस्या में रत ! 97🔱नारायणी- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप! 98🔱भद्रकाली- काली का भयंकर रूप! 99🔱विष्णुमाया- भगवान विष्णु का जादू! 100🔱जलोदरी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली! 101🔱शिवदूती- भगवान शिव की राजदूत! 102🔱करली - हिंसक ! 103🔱अनन्ता- अविनाशी! 104🔱परमेश्वरी- प्रथम देवी! 105🔱कात्यायनी- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय! 106🔱सावित्री- सूर्य की बेटी! 107🔱प्रत्यक्षा- वास्तविक! 108🔱ब्रह्मवादिनी- वर्तमान में हर जगह वास करने वाली! 🕉🔱🌼
@dhirendersingh76682 жыл бұрын
Nice bajan
@gopalyadav-mt1ke4 ай бұрын
❤ verey good
@Ramchander-k4p Жыл бұрын
💕💞💗❤ nice bhajan ❤😊😍🥰❤💝
@Billioner103 жыл бұрын
Jay mata di🙏🙏🙏
@MukeshKumar-wo4ys3 жыл бұрын
Q
@ManojManojkumar-l8l6 ай бұрын
❤❤❤😊
@khastidevi9063 Жыл бұрын
Kashti Devi Joshi
@priyankafartyal85432 жыл бұрын
Bolo mata Rani ki ....jai
@tera_bhai_gangster_7863 жыл бұрын
Krishna Rana G
@उदयपालउदयपाल-च3ङ3 жыл бұрын
जय मां भवानी जय श्री नाथजी की जय नौ द्रूगा की जय हो जय जय जय जय जय हो
@kusumlatasaraswat5695 Жыл бұрын
Banjhan b mata s beta maang rhe h na k beti :-)
@jageshsidhu65102 жыл бұрын
Very nice Bhajan di
@swatisaini88203 ай бұрын
🎉❤👏👏
@sukuna4053 жыл бұрын
Who love mata di like
@krishnakhurana58972 жыл бұрын
To bahut meethi meethi pyari pyari bete Hain bhakton Jay Mata Di sare bolo Jay Mata Di
@RahulKumar-ik4re2 жыл бұрын
Good 👍
@YashPal-tq8vd2 жыл бұрын
Apni maa bap ki lambi umar ke liye like kijeye apki ma bapp ki umar lambi hogi