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गवरी नृत्य सदियों से राजस्थान के अंचलों में किया जाता रहा है। यह भील लोगों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली एक प्रसिद्ध लोक नृत्य नाटिका है। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गवरी नृत्य एक वृत्त बनाकर और समूह में किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से कथाएँ प्रस्तुत की जाती है। यह नृत्य 'रक्षा बंधन' के बाद से शुरू होता है। प्रतिवर्ष गाँव के लोग गवरी नृत्य का संकल्प करते हैं। अलग-अलग गाँवों में इसका मंचन होता है। नृत्य में महिला कलाकार कोई नहीं होती। महिला का किरदार भी पुरुष उसकी वेशभूषा धारण कर निभाते हैं। नृत्य में डाकू, चोर-पुलिस आदि कई तरह के खेल होते हैं। गवरी नृत्य करने वाले कलाकारों को गाँवों में आमंत्रित भी किया जाता है।
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