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मणिपुर चक्र सोलर प्लेक्सस चक्र इसका।
रंग पीला है
आकृति त्रिकोण है
आप मणिपुर चक्र, तीसरा या सौर जालक चक्र , नाभि और उरोस्थि के आधार के बीच कहीं, नाभि पर या उससे कुछ अंगुल ऊपर पा सकते हैं। आप इसे सामने की बजाय शरीर के केंद्र में देखना पसंद कर सकते हैं।संस्कृत में इस चक्र को मणिपुर कहा जाता है जिसका अर्थ है रत्नों का शहर। रत्नों की खान
इसकेे जागृत होने पर व्यक्ति के अंदर दिव्य गुण विकसित होते हैं और व्याक्ति निर्णय लेने निपुण हो जाता है आत्म विश्वास बढ़ता है आत्मा का विकास होता है।
मणिपूरक चक्र अगर आपकी ऊर्जा मणिपूरक में सक्रिय है, तो आप कर्मयोगी होंगे।मूलाधार चक्र के जागृत होने के बाद ही नाभि चक्र जागृत होता है या कहें कि सक्रिय होता है।
ध्यान में 'रं' मंत्र के जाप के साथ पेट से श्वास लेने का अभ्यास करें। इससे यह चक्र सक्रिय होने लगेगा। इस चक्र को जागृत करने के लिए योगासन करके शरीर को फिट रखना भी जरूरी है।
मणिपुर चक्र तंत्र और योग साधना की चक्र संकल्पना का तीसरा चक्र है। मणि का अर्थ है गहना और पुर का अर्थ है स्थान। यह नाभि के पीछे स्थित होता है।
इसका आधार तत्व अग्नि होने के कारण इसे 'अग्नि' या 'सूर्य केन्द्र' भी कहते हैं।साधक की कुंडलीनी के मणिपुर चक्र में पहुंचने पर वह स्वाधिष्ठान चक्र के निषेधात्मक पक्षों पर विजय पा लेता है।
इसके साथ ही उसे स्पष्टता,आत्मविश्वास,आनन्द,आत्म भरोसा,ज्ञान,बुद्धि और सही निर्णय लेने की योग्यता जैसे बहुमूल्य मणियों सरीखे गुण प्राप्त होते हैं। यह चक्र स्फूर्ति का केन्द्र है।
मेरे बताने में यदि कोई त्रुटी रही हो तो माफ कीजिएगा 🙏 🙇🏻♀️
धन्यवाद