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मेरी महारानी श्रीराधा रानी |
जाके बल मैं सबसौं तोरी लोक वेद कुल कानी |
प्राण जीवन धन लाल बिहारी को वारि पियत नित पानी |
भगवत रसिक सहायक सब दिन सर्वोपरि सुखदानी ||
भजो प्यारी राधा प्रिया प्रिया | भजो श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||
भजो कृष्ण शीलिनी प्रिया प्रिया | भजो कृष्ण कर्षिणी प्रिया प्रिया |
भजो कृष्ण प्रेयसी प्रिया प्रिया | भजो श्याम प्रेयसी प्रिया प्रिया ||
भजो कृष्ण रूपिणी प्रिया प्रिया | भजो श्याम प्रेयसी प्रिया प्रिया |
भजो कृष्ण स्वामिनी प्रिया प्रिया | भजो श्याम स्वामिनी प्रिया प्रिया ||
भजो कृष्ण राधिका प्रिया प्रिया | भजो श्याम राधिका प्रिया प्रिया |
भजो कृष्णराध्या प्रिया प्रिया | भजो श्यामराध्या प्रिया प्रिया ||
जयत्यशेषाद्भुतमाधुरी सा, पुरी बृषाहस्करराजकस्य ।
यन्नामश्रृण्वन्ननु नन्दसूनु, र्व्रजत्यवस्थां जडिमाभिधानाम् ।। १ ।।
जयति - जय हो; किसकी जय हो, इस पुरी (वृषभानुपुरी) की जय हो । ग्रन्थकार श्रीवंशीअलीजीमहाराज ने धाम की महिमा को पहले कहा, इस उपासना में ‘धाम’ धामी से बड़ा माना जाता है, इसीलिए श्रीभट्टदेवाचार्य जी ने कहा-
कीरति सुता के पग-पग में प्रयाग- राज,
केशव की केल कुटी कोटि- कोटि काशी है..
जमुना में जगन्नाथ, रेणुका में रामेश्वर,
कर तल पर पड़े रहत अयोध्या के वासी है....
गोपीन के द्वार-द्वार हरिद्वार बसत यहाँ,
बद्री-केदारनाथ फिरत दास- दासी है..
स्वर्ग-अपवर्ग सुख लेके हम तरेये कहा,
जानत नही हो हम वृन्दावन वासी है....