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पटलराज केतु के हां कहने के बाद ही ऋषि को बोलता है कि आप मेरा पुरोहित बन जाईये और विवाह में आना होगा फिर चला जाता है l फिर महर्षि भगवान दत्तात्रेय को याद करते हैं और भगवान इसका उपाय बताते हैं कि ये विवाह नहीं हो पायेगा और एक घोड़ा देते हैं जो तीनों लोकों में जा सकता है और उसके सहायता से पाताल केतु पर विजय प्राप्त किया जा सकता है |
श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है |
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