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महाभारत की कथाओं में, अभिमन्यु और सुलेखा (जिसे वत्सला भी कहा जाता है) के विवाह की कथा उल्लेखनीय है। जिसे अभिमन्यु की दूसरी शादी के नाम से भी जाना जाता है | अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र था, और वत्सला (सुलेखा) बलराम की पुत्री थी। इस कथा में प्रेम, संघर्ष और चालाकी के तत्व शामिल हैं।
कथा का संक्षेप विवरण:
1. अभिमन्यु और वत्सला का प्रेम:
अभिमन्यु और वत्सला एक-दूसरे से प्रेम करते थे। वत्सला बलराम की पुत्री थी और वह अभिमन्यु से विवाह करना चाहती थी।
बलराम ने वत्सला का विवाह किसी और से तय कर दिया था, जिससे वत्सला और अभिमन्यु दोनों दुखी थे।
2. कृष्ण और सुभद्रा की योजना:
वत्सला और अभिमन्यु की प्रेम कहानी को देखकर, सुभद्रा और कृष्ण ने उनकी मदद करने की योजना बनाई।
उन्होंने अपने भाई बलराम को मनाने का निर्णय लिया ताकि अभिमन्यु और वत्सला का विवाह संभव हो सके।
3. गोपनीय योजना:
कृष्ण और सुभद्रा ने वत्सला को अभिमन्यु के पास लाने की योजना बनाई। उन्होंने बलराम को बिना नाराज किए चुपके से यह काम करने का निश्चय किया।
कई कथाओं में, यह भी वर्णित है कि वे बलराम को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि वत्सला का विवाह अभिमन्यु के साथ होना चाहिए।
4. विवाह:
अंततः कृष्ण और सुभद्रा की योजना सफल हुई, और अभिमन्यु और वत्सला का विवाह सम्पन्न हुआ।
इस विवाह के बाद, अभिमन्यु और वत्सला खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगे।
महत्वपूर्ण बिंदु:
सुलेखा और वत्सला का नाम: महाभारत में अभिमन्यु की पत्नी का नाम उत्तरा था, जो विराट राजा की पुत्री थी। सुलेखा या वत्सला की कथा अन्य पुराणों या स्थानीय लोक कथाओं में वर्णित हो सकती है।
प्रेम और संघर्ष: यह कथा प्रेम और संघर्ष का प्रतीक है, जिसमें अभिमन्यु और वत्सला ने अपने प्रेम के लिए कठिनाइयों का सामना किया और अंत में सफल हुए।
कृष्ण का योगदान: कृष्ण की भूमिका एक मार्गदर्शक और सहायक के रूप में रही, जो उनके चतुराई और रणनीति कौशल को दर्शाती है।
यह कथा हमें प्रेम, परिवार और चालाकी के महत्व को समझाती है, और इस बात पर जोर देती है कि सही मार्गदर्शन और सहयोग से कठिन से कठिन परिस्थिति का भी समाधान निकाला जा सकता है।
गायक - कीरत सिंह गुर्जर
संगीत - रामबीर तूफानी
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