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हारित ऋषि का फिर से कोई जाप पैदा हो।
देश में राष्ट्रीयता की छाप पैदा हो।
मनाती है मनौती आज भी माटी ये मेवाड़ की।
हर युग में उसकी कोख से कोई प्रताप पैदा हो।
राजस्थानी आन-बान-शान के प्रतीक, शौर्य एवं
पराक्रम की पराकाष्ठा, स्वाभिमान के शिखर पुरूष, मेवाड़ी मान महाराणा प्रताप की जयंती पर मेरी विनम्र शब्दांजली ।