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महाकुंभ की महिमा
महाकुंभ का गीत
महाकुंभ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक अद्वितीय और विशाल उत्सव है, जो हर 12 वर्षों में चार पवित्र स्थलों-प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। इसे संसार का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला कहा जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, अखाड़ों के महंत और आध्यात्मिक गुरुओं का संगम होता है।
महाकुंभ का महत्व वेदों, पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय अमृत कलश से कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए, इन स्थानों पर स्नान करना आत्मा को पवित्र करने और जीवन के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
महाकुंभ में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाना विशेष फलदायक माना जाता है। यह न केवल धार्मिक क्रिया है, बल्कि अध्यात्म, संस्कृति और मानवता का एक अद्भुत संगम भी है।
महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों का दर्शन करना, उनकी प्रवचन सुनना, और उनकी संगत में समय बिताना एक अनोखा अनुभव होता है। नागा साधुओं की पेशवाई, शाही स्नान, और दीपदान की भव्यता इस आयोजन को और भी अलौकिक बना देती है।
महाकुंभ न केवल धर्म और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और सहिष्णुता का भी परिचायक है। यहां लोग विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और जातियों से आते हैं, लेकिन एक ही उद्देश्य-आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से जुड़ने की भावना-के साथ।
महाकुंभ की महिमा का वर्णन शब्दों में कर पाना कठिन है। यह एक ऐसा अनुभव है, जो आत्मा को गहराई तक छू जाता है और जीवन को एक नई दिशा प्रदान करता है।
Song - Vikash bedardi
Music - Munna Mishra
Lyrics- Chhatrapal Pandey