Bahut hi madhur aur manmohak prastuti, abhang to bahut hi sundar 🙏🙏🙏
@manasbanerjee2592 жыл бұрын
Thanks Mahalaxmi Apparels
@shiv99772 жыл бұрын
Thank you for the acknowledgement. We respect this deeply.
@gyanendrasharma25723 жыл бұрын
अति मधुर रसीला गायन
@mohangujar23713 жыл бұрын
Superb Harish sir.you have such a divine voice.kya baat hai.keep it up.main to Aapka murid ban gaya.tabalji ki Saath BHI bahut badhiya.all the best.
@brajbhushanprasadsingh83904 жыл бұрын
कैसे कहूं।क्या कहूं।कुछ समझ में नहीं आता।एक लम्बे अरसे के बाद इस प्रकार का गायन सुनने को मिला। वर्तमान पीढ़ी आपसे बहुत कुछ सीख सकता है।
@subhedarabhay32512 жыл бұрын
बहुत बढ़िया
@sunil1975sonu8 жыл бұрын
Marvelous...!!!!
@Right-is-Right3574 жыл бұрын
पंडित हरीश तिवारी बहुत अच्छा गाते हैं। वह भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी के सच्चे शिष्य हैं। लेकिन दर्शक हमेशा उन्हें भीमसेन जोशी की नकल के रूप में सुनेंगे। यदि आप अपनी आँखें बंद करते हैं, आपको लगता है कि यह महान भीमसेन जोशी है। उनका तान, अलाप, अलंकार, सब कुछ समान है। हरिशजी को अपनी शैली विकसित करनी चाहिए।
@rajendrakulkarni6889 Жыл бұрын
सहमत। लेकिन मेरे जैसे 40 से ज्यादा साल जिसने पंडित भीमसेन जी को नजदीक से सुना हो, उसे तिवारीजी बहुत कम पड़ते नजर आते है। भीमसेनजी कि शैली, फिरत, मुरकियाँ और टोनालिटी, पिच की साम्यता के बावजूद, वह सिर्फ एक कॉपी का प्रयत्न लगता है। राग को जिस तरह से कली से फूल तक का प्रवास भीमसेनजी कराते थे, जिसमें स्वर्गीय अनुभूती थी, हम ख़ुद को उसमें खो देते थे, तालियोंकी गूंज हमें वापस धरती पर ले आती थी, उसके सामने तिवारीजी कहीं भी नजदीक नहीं है। भीमसेनजी कि शैली ही सुननी है, तो हम सिर्फ उन्हींको सुनेंगे ना, तिवारीजी या जयतीर्थ मेवूंडी को हम क्यों ही सुनेंगे ना? लेकिन अब तिवारीजी को इतनी आदत हो चुकी है, की अब उनमें अपनी शैली विकसित होनेका कोई चान्स नहीं, और उनकी लिमिट्स उनको भी पता है, इसलिए वह अपनी किराना घराने में ही ओरिजिनल शैली विकसित करेंगे भी नहीं। मेरी बात उनके फैन्स को बुरी लग सकती है, लेकिन और दस साल के बाद उन्हें भी ये पता चल ही जायेगा, बशर्ते वे मेरे जितने ही भारतरत्न पंडित भीमसेनजी के मुरीद हो।
@vidyadharpandit75058 ай бұрын
I agree in toto with the comments by Rajendra Kulkarni. Harishji as an imitator is great. He could not have been better as an blind imitator. Instead of criticising the ANDHA BHAKTA like Tiwariji we should ignore such artists because such and bhaktas have no discerning abilities. Late Pt.Bhmsenji did not blindly copies his Guru and improved upon his Guru and thus reached unique heights. I THINK ATTJIS STAGE😊 THIS STAGE HARISHJI SHOULD BE LEFT TO HIMSELF. MORE DISCERNING LISTENERS SHOULD LEAVE HARISHAJI WHERE HE IS.
@sushantborker4395 ай бұрын
कभी कभी नक्कल से भी खुश रहना है क्योंकी नकल अपने गुरू की ही हैl वैसे सही है की अपनी पेहच्यान हो पर जरुरी नहीं लगता सब को l हम भी आनंद ले l बहुत बढिया गायन ❤❤