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महर्षि संतसेवी परमहंस का जन्म सोमवार 20 दिसंबर 1920 ईस्वी को भारतवर्ष के बिहार प्रांत के वर्तमान मधेपुरा जिले के गम्हरिया नामक ग्राम में हुआ था। अपने माता पिता के यह चौथे पुत्र थे। इनके पूज्य पिताश्री आदरणीय श्री बलदेव दास जी एक कृषक थे तथा इनकी पूज्य माताश्री आदरणीया श्रीमती राधा देवी एक धर्मपरायणा महिला थीं। नामकरण-संस्कार के तहत पंडितजी द्वारा इनका नाम महावीर दास रखा गया।
महावीर दास बड़ी कुशाग्र बुद्धि के तथा आज्ञाकारी विद्यार्थी थे। अपनी कक्षा में ये परीक्षाओं में सदैव प्रथम अथवा द्वितीय स्थान प्राप्त किया करते थे। ये बाल्यावस्था में भगवान हनुमान के कट्टर भक्त थे। इनके दो-दो भाइयों तथा चाचाजी के अल्पायु में ही कालकवलित हो जाने की घटना ने इनके मन को तीव्र आघात पहुँचाया तथा इन्हें इस मर्त्यभुवन में जीवन की क्षणभंगुरता का साक्षात् अनुभव कराया। अभी ये इस सदमे से उबर भी नहीं पाए थे कि इनके पिता जी के आकस्मिक निधन ने इनके जीवन को पूर्णतः अस्त-व्यस्त कर दिया तथा इन्हें शिक्षा छोड़ने को विवश भी। इस कारण इनकी औपचारिक शिक्षा मात्र अष्टम वर्ग तक ही हो पाई। परिवार का वहन करने हेतु ये गांव के बच्चों को ट्यूशन देने लगे। इनके चरित्र तथा अध्ययन के प्रति इनकी रुचि देख अभिभावकों को अपने बच्चों को इन्हें सौंपने में तनिक भी झिझक न हुई।