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सावन आते ही झूले पड़ जाते हैं। सावन का ऐसा सुन्दर गीत नहीं सुना होगा आपने !! ‘सिया संग झूले बगिया में राम ललना' लोक प्रचलित झूला गीत है। कई पीढ़ियों से सावन के समय इसे गाया जाता आ रहा है। राम-सिया आज भी हमारे लोक में दांपत्य जीवन के आदर्श युगल हैं। बनारस हो या अयोध्या, भोजपुरी क्षेत्र हो या अवधी यह गीत सावन की पहली फुहार के साथ ही लोगों की ज़ुबान पर उतर आता है। आम के बगीचों से लेकर, आँगन के बीच, अहाते के शहतीर तक में झूले लटक आते हैं। फिर मस्ती और प्रेम की वो युगल छवि मन में अनायास उभर आती है और हम गुनगुनाने लगते हैं... ‘सिया संग झूले बगिया में..’।
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