स्वामी जी धन्यवाद आपका आपने मेरी आंखें खोल दी यूपी बहराइच
@hemantrath94857 ай бұрын
वेदों की ओर लौटना पड़ेगा... प्रणाम गुरुदेव... आपके जैसे क्रन्तिकारी संत की आवश्यकता है... स्वामी विवेकानंद जैसी ओजस्विता है आपकी वाणी में
@Chandangoyal-re7xq5 ай бұрын
Jai shree Ram bhai i i i
@Chandangoyal-re7xq5 ай бұрын
Bhai guriuji sri yati narsinghand ji maharaj dasna Devi mandir ghaziabad ka sath do dhanywaad i i i i
@Chandangoyal-re7xq5 ай бұрын
Bhai aapke Circle mein jitne bhi hindu log unse boleiye jyada bache paida kare tabhi humlog bachege nahi to humlog bharat se bhi khatam ho jayega ii
@Chandangoyal-re7xq5 ай бұрын
Bhai Arya samaj ko support karo
@Chandangoyal-re7xq5 ай бұрын
Bhai inki khooni kitab Kuran Hadis padh lo sab samaj aa jayega iii
@padmalochanmalik66536 ай бұрын
जय सच्चिदानन्द स्वामी की जय। जय हिन्दु वन्दे मातरम् ॐ
@akhileshsaharma97008 ай бұрын
श्रद्धा स्वामी जी प्रणाम आपकी बात बिल्कुल सही है
@brijendrasingh47498 ай бұрын
श्रद्धेय स्वामी जी, सादर प्रणाम 🌹🌹🌹🌹🌹☂️
@gurukulsabhyata8 ай бұрын
Sahi baat hai guru ji 🕉️🚩
@minatidas63258 ай бұрын
Namaste Swamiji ATI sundar katha
@Topcomedy2026 ай бұрын
ॐ गुरूजी आपके चरणों कमलों मे सादर प्रणाम सनातन धर्म को बचाना हैं तो युद्ध स्तर पर गुरुकुल खोलना पड़ेगा और अपने बच्चो को गुरुकुल की शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए
@spsyadav16998 ай бұрын
Bahut sundar pravachan swami ji
@surinderkumar73008 ай бұрын
जय श्री राम ❤
@वैदिकविचार-ध6र7 ай бұрын
आपको कोटि कोटि नमन
@ashokkumararya68067 ай бұрын
अति उत्तम व्याख्यान।🙏
@ManojKumar-zl7ed8 ай бұрын
Sahi baat hai ❤
@bijayapanda96897 ай бұрын
Nice sweet real gyan by Swamiji. OM.
@SamsungA13-z5b7 ай бұрын
जय।श्री राम
@sk_chauhan3467 ай бұрын
हमारे परम श्रद्धेय साधु संत अपने अपने प्रवचनों में एक दूसरे के मत का खंडन करते रहते हैं जिससे धर्म भीरु जनता भ्रमित होकर अपने शास्त्रों पर ही अविश्वास कर दूसरे धर्मों को श्रेष्ठ मानने लगती है कुछ ऐसा प्रयास किया जाए कि अपने धर्म पर श्रद्धा बढ़े
@SunitaSharma-b5p7 ай бұрын
Sunder bichar😊
@devichand62108 ай бұрын
बहुत सही स्वामी जी, नमस्ते ji
@mahenderjangra67648 ай бұрын
सादर नमस्ते जी
@AnuyarAnuyar-fr7oy3 ай бұрын
🙏🇮🇳
@nandkishorsaini48852 ай бұрын
गुरु जी हर गांव शहर में छोटी छोटी शाखाएं खोली जायें हम बहुत ही पीछे रह गए हैं पांखड बहुत आगे ऊं शान्ति ऊं
@wecanfixitnow8 ай бұрын
Sahi Baat hai Sachidanand ji Maharaj 😊😊❤❤❤❤
@RubySinghRathore4 ай бұрын
Jay shree Siya Ram ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
@AjeetYadav-kj5bb7 ай бұрын
Om
@ramchandrayadav53784 ай бұрын
You are the only Arya samaji who strongly condems idol worship as swami Dayanand used to. You are doing a great service to sanatan.
@dayaluramyadav64127 ай бұрын
Adhbhut pravachan yase hi gurookul ki bevastha bharat me honi chahiye .dhanyavad
@AkashGupta-co9uz7 ай бұрын
गुरु जी के चरणों में कोटि कोटि नमन हम मूर्ति पूजक हे और रहेंगे भगवान सर्वत्र हे और मूर्ति से हमे अपने आराध्य पर ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती हे 🕉️🇮🇳🙏🚩 जय श्री राम जय आर्यावर्त 🙏🇮🇳🕉️🚩
@Aryaveer00867 ай бұрын
ये सम्पूर्ण श्रष्टि ही परमात्मा मय है, परमपिता परमात्मा सर्वज्ञ सर्वब्यापी है, ॐ ॐ 🎉🎉
@yogeshjatt87477 ай бұрын
Pranam guruji ❤❤
@rajubawa43728 ай бұрын
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
@vineetaaware91948 ай бұрын
Swamiji sacchai hai😊
@ganpatgavali55844 ай бұрын
Very nice.
@puranmalkoli27437 ай бұрын
परमात्मा एक है, सर्वत्र व्यापक है
@kamlaupreti95677 ай бұрын
ओम् , सादर ओम् प्रणाम ्🎉🎉
@jagdishprasadarya88008 ай бұрын
परमात्मा सब जगह पर मौजूद हैं।
@GauravKumar-ut8lb7 ай бұрын
Jay shree ram
@piyushbhatt11014 ай бұрын
महाराज जी यह भी सोचती जो आज बोलने की ताकत सिर्फ परमात्मा ने दी है आपको और हम सभी को सुनने की
@SagarKumar-nk8ewАй бұрын
जेहो महाराज की
@ganeshsoni17647 ай бұрын
Satya Sanatan vedic dharm ki jai
@omprakashverma52718 ай бұрын
प्रणाम स्वामीजी। बहुत सुंदर। मेरे एक प्रश्न है आपसे की जब ईश्वर सर्वत्र है तो क्या फिर क्या ईश्वर मंदिर में नही है। ईश्वर सृष्टि के हर कण में है तो फिर क्या मूर्ति में ईश्वर कैसे नही है। जब हवा हर जगह है हवा में ऑक्सीजन हर जगह है तो फिर बीमार आदमी को ऑक्सीजन सिलेंडर से ऑक्सीजन क्यों देते है । बीमा सिलेंडर के ही ऑक्सीजन क्यों नही ले लेते। परमात्मा भीतर बाहर सब जगह है। प्राप्त करने की विधियां अलग अलग है। यह सनातन है । अपने अपने भाव होते है
@Ram479888 ай бұрын
ईश्वर सर्वत्र है तो सर्वत्र ही उसका भाव करना चाहिए ना कि एक जगह पर उसका भाव करना। हवा का उदाहरण गलत क्योकि हवा अचेतन है जड़ है और ईश्वर चेतन है। आप ईश्वर के साकारवाद को सिद्ध करने के लिए जड़ साधन प्रकृति का उदाहरण क्यो दे रहे है
@omprakashverma52718 ай бұрын
@@Ram47988 ईश्वर सिर्फ निराकर है यह कहना उसकी विराटता को सीमित करना होगा। और ईश्वर मंदिर में नही यह कहना उसकी सर्वव्यापक्ता को सीमित कर देता है। में तो आपकी बात को भी मानता हु ईश्वर हृदय में परमात्मा के रूप में विद्यमान। क्या आप यह मानते है की ईश्वर मंदिर में नही है। आप इतना बता दीजिए की ईश्वर मंदिर में है या नही।
@harshhuria87888 ай бұрын
मित्र निस्संदेह इश्वर मंदिर मे भी है और पत्थर की मूर्ति मे भी क्योंकि इश्वर निराकार है पर मै आपसे पूछता हूं कि क्या आपको कभी मंदिर मे भगवान मिले या आप जिस मूर्ति या तस्वीर को भगवान समझकर पूजा कर रहे हैं, उस ने कभी आपको आशीर्वाद दिया या आपसे बात की या आपकी कोई इच्छा पूरी की हो या कोई वरदान दिया हो तो गम्भीरता से सोचें मित्र, इश्वर ने आपको भी बुद्धि दी है।
@harshhuria87888 ай бұрын
मेरी एक बात का जवाब दें कि यदि आप बेजान पत्थर की मूर्ति को भगवान समझ रहे ह़ो और तर्क दे रहे हो कि मूर्ति मे भी भगवान है जो कि सही तर्क है तो इस तर्क के हिसाब से तो कीड़े मे भी इश्वर है, कुत्ते मे भी इश्वर है, सुअर मे भी इश्वर है, तो क्या आप कीड़े, कुत्ते या सुअर को इश्वर मानकर पूजा कर सकते हैं, अगर नहीं तो बेजान मूर्ति को भगवान मानकर क्यों पूज रहे हो।
@omprakashverma52718 ай бұрын
@@harshhuria8788 जी बिलकुल सभी प्राणियों में ईश्वर परमात्मा के रूप में है। जब ईश्वर आपके हृदय में है तो चींटी के हृदय में भी ईश्वर है। मैने कभी नही कहा की ईश्वर केवल ओर केवल मूर्ति है है। मैने तो यह कहा की जब ईश्वर सब जगह तो तो मूर्ति में भी है। आप ही कह रहे थे मूर्ति में ईश्वर नही होता।आप में है मुझ में है चींटी में भी है। अब रही बात पूजने की तो जिसकी जैसा श्रद्धा और भाव उसको पूज ले। किसी और की श्रद्धा में में अपना मत क्यों दू की तुम गलत हो और में सही ही। में तो सिर्फ इतना ही कह रहा हु जब ईश्वर सब जगह है तो मंदिर में क्यों नहीं हो सकते। और अपने मान भी लिया की मूर्ति में भी ईश्वर है। जिसके जैसे भाव और श्रद्धा होगी उसे वैसे ही नजर आएंगे
@surababa32747 ай бұрын
मानव शरीर के अन्दर है..दोनो आखो के पीछे और बीचो बीच है...
@બળવંતભાઈપ્રજાપતિ6 ай бұрын
❤अगर आपकी बुद्धि अतिसुक्ष्म है तो हर परमाणु चेतन हैं तो मूर्ति भी चेतन हैं जिसे कोई ब्रह्म कहे, कोई उसे अउम कहे कोई उसे निरंकार कहे।अगर आपकी बुद्धि जड़ है तो परमाणु भी उसे जड़ दिखेगा तो मूर्ति में कभी परमात्मा नहीं देख पाएंगे। कसूर निगाह की है।❤
@vikramadityatiwaribharatva88288 ай бұрын
Mahant Shri Aap Sahi Kah Rahe Mandir Dhyan Lagane Ka Kendra Tha Aaj Money Banane Ka Kendra Ban Gaya Hai Isliye Humare Desh Ke Khand Khand Ho Gaye Aaj Bhi Log Aapne Aarya Dharma Ka Palan Nahi Kar Rahe Hum Jese Logo Jyan Dene Ke Liye Aap Ka Abhar Jai Maa Bharti
@BalwanSingh-kp5fz7 ай бұрын
जय आर्य समाज, जय देव दयानंद सरस्वती जी, जय सनातन धर्म। जय आर्य श्रेष्ठ योगिराज श्री कृष्ण चंद्र जी महाराज।।
@RekhaArya-x6y8 ай бұрын
Namste ji
@ArjunBtr-s7f13 күн бұрын
राधे राधे❤❤❤❤
@saharacomputer49998 ай бұрын
❤
@ajaybharti42967 ай бұрын
Bahut Sundar Guruji aapke charanon mein कोटि-कोटि Naman 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌺🌹🌺🌹🌹🌹🌹🌷🌹🌹
@udayarya18808 ай бұрын
ईश्वर सर्वव्यापक है।
@AnujKumar-ut2hh4 ай бұрын
एक बात का उत्तर जरूर देना परमात्मा सर्वत्र है फिर मंदिर मे क्यों हाँ परमात्मा सर्वत्र है वायु भी इस खुले ब्रह्माण्ड मे सर्वत्र है पर ज़ब ध्यान दीजिये टायर मे हवा भराते है तो टायर की टोटी खोल देते है और हवा भर जाती है ये सत्य है फिर उसे हवा भरवाने क्यों जाना पड़ता है जय सनातन 🙏
@sunilbazard4644Ай бұрын
कोई जरूरत नहीं हवा भरवाने की, जाना इसलिये पड्ता है की हमारी चेतना सुप्त अवस्था में है, जरुरत है उसे जागृत करनें की, अगर जागृत हो जाये तो ना साईकिल की या गाड़ी की जरूरत है ना तैल,गैस या हवा की, ये भ्रम जाल है, और हमारी चेतना सुप्त है इसलिये भ्रम जाल में फसे हुए हैं, ये बात बिल्कुल सही है की वास्तविक मंदिर मन ही है, और हमारे शरीर के भीतर ही सम्पुर्ण श्रष्टी है, हमें कहीं जानें की जरूरत नहीं, बस जरूरत है खुद को जागृत करनें की।🙏🙏
@piyushbhatt11014 ай бұрын
अगर आर्य समाज वाले इस धरती पर और होंगे तो भगवान को सारी जगह से छुप जाएंगे ऐसे लोगों का ज्ञान सुनकर
@yugrana13868 ай бұрын
नमस्ते गुरुजी 🚩🙏
@atulshinde19867 ай бұрын
भक्ति चाहे सगुण करो या निर्गुण करो करना जरूरी है भगवान दया के महासागर है दया कर ही देंगे ईश्वर हमारे भाव के भूखे है की हम किस भाव से उनको भजते बाकी तो मनुष्य जन्म दुर्लभ है मिल चुका ईश्वर दया से तो फायदा उठाओ । भक्ति करो खूब करो भक्ति से ही मुक्ति संभव है जब तक सच्चा गुरु नही मिलता तब तक सगुण भक्ति करो पूजा पाठ करो जो मर्जी करो लेकिन करो जरूर भक्ति खाली नही जाती फल जरूर मिलेगा एक दिन आएगा आपकी प्रेम भक्ति चाहे सगुण रूप में क्यों ना करी हो ईश्वर दया करके पूर्ण सतगुरु से मिला ही देंगे आपकी तड़प सच्ची होगी तो सब कुछ मिल जायेगा । ईश्वर आप सभी को पूर्ण सतगुरु महात्मा जी की प्राप्ति करवा देवे ऐसी प्रार्थना करता हु प्रभु जी के आगे अगर पूर्ण संत महात्मा मिल चुके है तो बस उनकी आज्ञा का पालन करो बेड़ा पार हो जायेगा
@MunnaBhai-df1wu7 ай бұрын
सादर प्रणाम
@anandjani21656 ай бұрын
एकदम सही बात बताई गुरुजी!! मनुष्य का मन ही मंदिर है और भगवान मन को देखते हैं!! जिसका मन और विचार खराब हो वह चाहे कितने भी मंदिर में जाए!! मन शुद्ध होगा तो भगवान को पसंद होगा मंदिर जाने से नहीं!!
@gurukulsabhyata8 ай бұрын
Guru ji bachho ko ye bhi bato ki prmatma kaise milta hai please 🕉️🚩🚩
@kumarbedapriyachuine99637 ай бұрын
ओ३म् स्वामीजी सादर नमस्ते
@surinderkumar73007 ай бұрын
जय श्री राम जी ❤🙏🙏🌹🌹🚩 हिन्दू राष्ट्र बनाओ देश बचाओ 🌞🪴🌹🌹🚩
@userindialoot7 ай бұрын
मंदिर में जाने से भाव शुद्ध होते हैं अच्छा नित्य नियम बनता है मूर्ति से भक्ति बढ़ती है भगवानों के रूप का पता लगेगा तभी तो भगवानों को याद कर पाएंगे
@atulshinde19867 ай бұрын
शॉर्ट कट में बात यही है की ईश्वर तो हर जगह विद्यमान है लेकिन अगर उनको जानना हो तो अपने अंतर में ही जान सकते हो । जैसे पानी धरती के नीचे भी हर जगह पर मौजूद है पर मिलेगा तब ही जब हम कुआ या बोरवेल खोदेंगे तब पानी मिल ही जायेगा वैसे ही ईश्वर सत्ता सर्व व्यापी है लेकिन जानना हो तो हमको अपने भीतर प्रवेश करना ही होगा तब जान पाएंगे । पवित्र गीता जी में भी भगवान श्री कृष्ण जी यही उपदेश देते है की अपने भीतर खोजो मुझे मैं मिल जाऊंगा इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन फिर भी बात बनने वाली नही है क्योंकि उसके लिए भी किसी ऐसे संत,महात्मा या पूर्ण गुरु जी की आवश्यकता पड़ेगी जो खुद अपने भीतर उस ईश्वर तत्व का आत्मा साक्षात्कार कर चुका हो और हमे भी आत्म अनुभव करा सकता हो तब ही संभव है नही तो नामुमकिन है यह बात चाहे मर्जी उतने पूजा पाठ जप तप वेद अध्ययन कुछ भी कर लो यह पहेली हल होने वाली नही। पवित्र गीता जी में ऐसे तत्व ज्ञानी महा पुरुष की शरण में जाने को कहा है भगवान श्री कृष्ण जी ने की अगर ऐसे महात्मा मिले तो समझो मैं मिल गया। पवित्र गीता जी में पूरा अध्यात्म भरा हुआ है लेकिन खेद की बात यह है की जैसे छोटे बच्चो के हाथ में अगर तेज चाकू दे दिया जाए तो वो क्या करेगा आप समझ सकते हो । इसी तरह शास्त्र भी गलत लोगो द्वारा सुनाए जायेंगे तो लोग गुमराह होते रहेंगे। सगुण भक्ति 84 योनियों का फेरा जो जीव को लगा हुआ है नही काट सकती अच्छा कर्म है अच्छा फल जरूर मिलेगा लेकिन आना जाना खत्म नहीं होगा। यह बात भी भगवान श्री कृष्ण जी पवित्र गीता जी में बता चुके है। निर्गुण भक्ति से ही पार हो सकते है क्योंकि ईश्वर का मूल स्वरूप ही निर्गुण है आत्मा भी ईश्वर को ही अंश है इसलिए आत्मा भी निर्गुण ही है निर्गुण निर्गुण में मिल सकता है। इसलिए आत्मा ही केवल ईश्वर परमात्मा को जान सकता है हर बात बताई गई है पवित्र गीता जी में । हम लोग है जो खुद पड़ते नही और सच्चे महात्मा की तालाश करते नही । कमी हमारी है बाकी तो कई कई लोगो ने जो मन मुख है मन के कहे चलते उन्होंने धर्म हो धंधा बना दिया है जब की इंसान का एक ही धर्म है आत्मा का परमात्मा में विलीन हो जाना यही सच्चा धर्म भगवान श्री कृष्ण जी ने बताया है पवित्र गीता जी में । जय श्री कृष्ण महाराज की जय धन्यवाद भक्त गण
@Chandangoyal-re7xq5 ай бұрын
Swami ji ko kotti kotti Naman
@arya.bharat54098 ай бұрын
में तो मानता हूं आज आर्य समाज में स्वामी सच्चिदानंद जैसा निर्भीक व्यक्तित्व और कोई नहीं
@jagatbahadur12137 ай бұрын
We live at jila Bahrach UP. Sir sattyarth prkash book hamne kahn se milege
@Mohammad-r1m2z6 ай бұрын
गुरु जी यदि मनुष्य के द्वारा बनाई मंदिरों में भगवान नहीं है और भगवान मन मंदिर में ही रहते हैं। तो मंदिर का जरुरत नहीं है। जब भगवान के द्वारा बनाई मुंह,तन और पैर है तो ध्वनि विस्तारक यंत्र,कपड़ा और यात्रा के लिए वाहनों की क्यों आवश्यकता है? जैसे सांसारिक वस्तुओं को जीवन में आवश्यकता होती है वैसे ही भगवान और मंदिरों कि भी आवश्यकता होती है।
@Jaswantbhaiya197 ай бұрын
जय स्वामी दयानंद सरस्वती जी
@jagdishvaishnav61287 ай бұрын
मन मन्दिर का रूप ही मन्दिर है
@sabhjitpandey30847 ай бұрын
मन में भी भगवान की काल्पनिक मूरत होती है
@chandrasinhchohan71236 ай бұрын
हवा सबजगह है तो टायरमे हवाभरवानेकेलिये कोमपरेसेके पास क्यो जाना पडता है
@Rambhajan_sagar6 ай бұрын
सबका ईश्वर एकहै
@piyushbhatt11014 ай бұрын
परमात्मा हर जगह लेकिन वह उनको दिखते हैं जो उनको समझने ज्ञानी को थोड़ी परमात्मा को प्रेम से सबको दिखाई देते हैं हर जगह हर स्थान पर
@Jijaji-g4r7 ай бұрын
आप प्रेम आनंद जी से मिलकर शास्त्रार्थ करने की कृपा करें।
@chandramajhi80496 ай бұрын
Right Ram ram 🙏🙏🙏🙏
@sandeepchoudhary47207 ай бұрын
🙏🏻🕉🙏
@vindhyavasaniАй бұрын
मंदिर अब कमाई का जरिया बन गए है। आप जैसे संत की वजह से सनातन के आडंबरों से बच गया हूं
@pradeepbhayana89887 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
@jagdishvaishnav61287 ай бұрын
सर्व खल्विदं ब्रह्म चराचर जगत में घट घट में
@HariramVerma-vb7hbАй бұрын
❤🙏🙏🚩सत्य वचन जी,जिस प्रकार छोटे बच्चो को अ अनार,आ आम पढाकर स्कूल मे शिक्षा दी जाती है , न वहां आम मे मिठास है ,लेकिन जब बच्चा पढकर अपने अनुभव से या नौकरी से बड़ा व्यक्ती बन जाता है तो पता चलता है कि आम व अनार का क्या मतलब निकलता है ठीक इसी तरह मंदिर को मनुष्य शरीर की नकल बनाकर एक नाम दिया गया था,लेकिन लोग अपने मन +अंदर जाने की बजाय ईंट व गारे पर आसरा रखने लगे व खुद के अन्दर जाना भूल गए,मंदिर भी एक स्कूल है लेकिन न पढने वाला यदि स्कूल को मत्था टेके तो पास कैसे होगा,
@ॐश्रीकामधेनुज्योतिषगौविज्ञानके7 ай бұрын
परमात्मा सब जगह रहता है । सूर्य का प्रकाश सब जगह होता है लेकिन सूर्य का प्रकाश गंदा नही होता है ऐसे ही ईश्वर गंदे नही होते है सूर्य का प्रकाश मरे हुए जानवर पर पडता है तो प्रकाश गंदा नही होता है इसीलिए हमारे भाव से प्रत्येक मूर्ति मे ईश्वर होते है । ईश्वर जड नही है मूर्ति जड है । मन का भाव ईश्वर मे विलीन होता है । ईश्वर देवताओ की मूर्ति मे होते है ।
@gurnamsingh28577 ай бұрын
Swami ji namaskar.
@dayaluramyadav64127 ай бұрын
Jabardast
@manusharma15673 ай бұрын
Swami ji aap mandir jane ka sabi ko samjao hamari mandir me v Astha honi chahiye bagwan sabi jagha ho fir bi mandir jarur jana chahiye kioki hame vahan man ko shanti milti hai our chinta duur Hoti hae 🙏
@sunilbazard4644Ай бұрын
मंदिर में बहुत से लोग ध्यान भी करते हैं , जिससे वहाँ दिव्य उर्जा ( positive energy)का संचार अधिक होता है, और जब हम मंदिर में ध्यान करते हैं तो हमारी उर्जा का सतर उपर उठनें में वहाँ मौजूद उर्जा सहायक होती है, भगवान कण कण में है, संसार में ना कुछ जड़ है ना चेतन, यहाँ सिर्फ और सिर्फ ईश्वर यानी प्रकृति ही है, इसके अलावा कुछ नहीं, जिसको मानवीय भाषा में जड़ पदार्थ कहा जाता है, उसमें भी प्राकर्तिक चेतना होती है, उर्जा होती है, इसलिये संसार की किसी भी वस्तु (चाहे वो चल हो या अचल) को चेतना से मुक्त नहीं किया जा सकता । और एक बात और की हिन्दू , मुस्लिम, सिख, इसाई, यहूदी या जितनी भी धरती पर विचाधाराएं हैं, ये सिर्फ अलग -अलग विचारधारा ही हैं, इनमें से कोई भी पुर्ण रूप से धर्म नहीँ है, हाँ सभी में धर्म का थोड़ा -थोड़ा सा अंश हो सकता है । धर्म एक ही है प्रकृति को अपने वास्तविक रूप में देखना समझना और बहनें देना । खुद को प्रज्ञा और बुद्धि के स्तर पर पूर्ण रूप से होश में रखते हुए, कर्म करते हुए यात्रा को सफल बनाना।कर्म करते हुए भी दृष्टा भाव में रहना🙏🙏
@VinodKumar-pu2qe7 ай бұрын
Sahi
@SourabhSharma-f1g7 ай бұрын
गुरुदेव में भगवान को दिखा सकता हूं और आप जितने व्यक्तियों को लगे उनको सबको दिखा सकता हूं लेकिन क्या आप मुझे क्या आप मुझे दर्शन कर
@BabluKumar-hr5vm7 ай бұрын
Aapne kb God ka darshan kiye, kaise kiye, iska kya proof hai, or kon karaya hai, shastra sammat proof or santusthjanak reply ki aasha hai, .. Jay sri ram
@adityabhardowaj5 ай бұрын
Arya samaj jindabad Jai sri Ram ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@judhistirdas1763Ай бұрын
Jad kavi chetan ho hi nahi sakta chahe kitna mantra me abhusit Kiya Jay. Thanks
@PradeepKumar-wy4ts7 ай бұрын
हे गुरूवर ईश्वर को भी भुख नही लगता है।
@PradeepKumar-wy4ts7 ай бұрын
कृष्ण भागवन ही ईश्वर था। मनुष्य का रुप धारण कर के आया था
@Aryaveer00867 ай бұрын
ईश्वर अजन्मा, अनादि, है ईश्वर का कभी जन्म और मरण नही होता है ।।
@jaybhavani84165 ай бұрын
❤ Praan Pratishta ! ' Praan tattwa ' - granth ...Swami Vishnu Tirth Narayan kuti Sanyas ashram , Devas , M.P. We expect discussion on above subject .
@jaybhavani84162 ай бұрын
We expect discussion on Spiritual Science and Philosophy of Ramlal ji Siyag siddhayoga . Towards the Truth . ❤
@JaiBharat10804 ай бұрын
"परमात्मा मान कर भगवान राम की पूजा कभी नहीं करना" यह क्या एक साधु का उपदेश है ? सनातन संस्कृति को नष्ट करने में आर्य समाज सबसे आगे है । आप को नमन और कलयुग को नमन जिसने आपके बुद्धि दूषित कर दी है ।
@piyushbhatt11014 ай бұрын
फिर तो लोगों के मंदिर में कोई आस्था नहीं रही हो और सारे मंदिर बंद हो जाएंगे आप जैसे लोगों के प्रवचन सुनकर
@chandramajhi80496 ай бұрын
Pramaanda maharajse dibetakare bo bhagwaanako dekhehe or dikhaabisakatehe radhe radhe Ram Ram 🙏🙏🙏🙏
@darshanchhabra89527 ай бұрын
परमात्मा कल्पना है जैसे जिसकी भावना वैसा ही उसको दिखाई देता है यहां तक मंदिर जाने या ना जाने का सवाल है वह एक स्थान है जहां सभी मिलकर आपस में संपर्क स्थापित कर सकते हैं
@SURAJKUMAR-ttu5 ай бұрын
Bhagwan Ram ki Murti ke vicharon ko Ham Pranam Karte Hain, Mahapurushon ki Murti ke vicharon ko Ham Pranam Karte Hain, inke vicharon ki aagya ka Palan Karte Hain,
@SanjeevKumar-uv8yiАй бұрын
परमपिता परमात्मा सब जगह किस रूप में रहते है।
@neerajkundu4286Ай бұрын
@@SanjeevKumar-uv8yi परमात्मा हर जगह मौजूद रहते हैं हर रूप में विद्यमान हैं
@SanjeevKumar-uv8yiАй бұрын
@@neerajkundu4286 ओर आगे बताए
@subhashbabu18322 ай бұрын
आचार्य जी, भगवान में ध्यान लगाते हुए अगर उसकी कोई काल्पनिक छवि मन के मन्दिर में बना ली जाए तो इसमें हरज ही क्या है,बिना किसी छवि के तो ध्यान लगाना कठिन हो जाएगा, एकलव्य ने भी तो गुरु द्रोणाचार्य मूर्ति बनाकर सफलता हासिल की थी।
@rajendrasingh-nm7sd7 ай бұрын
सच्चाई यही है सा।
@PurushottamDuttuniyal5 ай бұрын
भगवान तो कण कण वासी क्षण क्षण अवतारी हैं तो मूर्ति में भी है लेकिन मूर्ति तो भाव बनाने के लिए है और मूर्ति भगवान तक पहुंचने की सीढ़ी का पहला स्टेप है और मूर्ति में भाव बनाने वाला भक्त ध्यान लगा ते लगाते वह विराट पुरुष में खोजाता है और तब भक्त नहीं केवल भगवान ही रह जाते हैं।
@PurushottamDuttuniyal5 ай бұрын
जड़ अर्थात विवेक शून्य शक्ति पदार्थ वस्तु।। चेतन अर्थात विवेक युक्त स्वरूप युक्त शक्ति क्रियाशील रहनेवाला ।।
@piyushbhatt11014 ай бұрын
हम मानते हैं कि परमात्मा की कोई मूर्ति नहीं लेकिन आप तो बहुत ज्ञानी हो गुरुजी आप तो बहुत शास्त्रों का ध्यान रखते लेकिन आप एक बार सबको दिखा दो कि परमात्मा ऐसे है सभी लोग मान जाएंगे आपके प्रवचन सुनकर
@Jayshreerambhajanmarga3 ай бұрын
Bilkul sahi kaha aapne 🙏
@RajeshKumar-vo5pm3 ай бұрын
भाई परमात्मा की जब कोई मूर्त नही तो दो दिखा कैसे सकते हैं उसको महसूस किया जा सकता है जैसे प्रकाश की कोई मूर्त देखी / हवा की कोई मूर्त देखी उसको महसूस कर सकते उनका कोई आकार नहीं है प्रणायाम करो बौद्धिक विकास करो जय सनातनॐ
@RajeshKumar-vo5pm3 ай бұрын
और परमात्मा को कोई बाहरी आँखो से कोई नहीं देख सकता क्योंकि इनसे वो ही दिख सकती है जो नाशवर है लेकिन परमात्मा नाश्वर नहीं है
@Bharatiyaparmparayen8 ай бұрын
आचार्य जी मूर्ती जड़ है, और ईश्वर चेतन जो कि सभी जगह है तो मूर्ति मे भी हैं तब चैतन्य ईश्वर के जड़ मूर्ति मे होने से मूर्ति चैतन्य होगी या जड़?
@Rahuljangid1748 ай бұрын
जड़
@vedramkashyapvedramkashyap514Ай бұрын
Guru ji ap ko pahechan parmatama Ne abtar liya h ram kirsan manv rup me aye to keya bhgaban ki akrti nahi thi bo manav jaise dikhte the bagban sakar bhi h nirakar bhi h
@एनबिहारी8 ай бұрын
भगवान निराकार भी हैं, आकार भी हैं। निराकार सभी जगह हैं। लेकिन आकार को मन्दिर ही चाहिए। मन्दिर एक धर्म स्थल और कर्म स्थल है। सबकुछ मन से ही नहीं होता है। भोजन के लिए हाथ आगे बढ़ाना ही पड़ता है।