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मानेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो कि चम्पावत शहर से करीब 7 कि.मी. की दुरी पर चम्पावत-पिथौरागढ़ मोटर मार्ग से 1 कि.मी. की दुरी पर प्राक़तिक सुषमायुक्त पर्वत शिखर पर बसा है | मानेश्वर मंदिर चम्पावत का सबसे पुराना मंदिर है एवम् यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | मानेश्वर मंदिर का निर्माण चंदवंशीय राजा निर्भयचंद ने 8 वी सदी में किया था | राजा ने मंदिर के निर्माण के साथ ही अखंड धुना स्थल भी निर्माण करवाया और साथ ही साथ मंदिर के निकट गुप्त नौले के जल को इक्कठा करने के लिए पक्की बावड़ी बनवाई | मानेश्वर मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में भी पूजा जाता है तथा कुर्म भगवान् की तप्स्थाली क्रांतेश्वर पर्वत ठीक मानेश्वर मंदिर के निकट स्थित है | मान्यताओं के अनुसार शक्तिपीठ की कई चमत्कारी शक्तियां सदियों से लोगों के लिए आश्चर्य और श्रद्धा का केंद्र हैं , जैसे मंदिर के निकट स्थित गुप्त नौली के जल से स्नान करने पर पुण्य लाभ के साथ-साथ कई रोग व विकार दूर हो जाते है तथा भक्तो को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है | मानेश्वर मंदिर में आकर भक्तो एवम् श्रधालुओ को आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है और साथ ही साथ शिवलिंग की पूजा करने से भक्तो की मनवांछित कामना पूरी होती है और निसंतान दम्पतियों को संतान की प्राप्ति होती है | मंदिर में प्रत्येक साल में एकादशी मेले में हज़ारो लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते है |
मानेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा !
मानेश्वर मंदिर के बारे में माना जाता है कि समुन्द्र मंथन में सहायता हेतु भगवान विष्णु ने कुर्म या कछुए का रूप इस देवलाय (मंदिर) के सामने स्थित कुर्म पर्वत पर धारण किया था | कहा जाता है कि जब पांडव पुत्र अपनी माता के साथ अज्ञातवास के दौरान इस जगह में भ्रमण कर रहे थे , तो आमलकी एकादशी के दिन राजा पांडू की श्राद्ध की तिथि थी और माता कुंती ने प्रण किया था कि वह श्राद्ध मानसरोवर के जल से ही करेगी | तभी माता कुंती ने यह बात युधिष्ठिर को बताई तो उन्होंने अर्जुन से माता के प्रण को पूरा करने को कहा | अर्जुन ने गांधर्व धनुष से बाण मार कर उसी स्थान पर जल की धारा पैदा की | इस जल से राजा पांडू का श्राद्ध करने के बाद पांडवो ने भगवान शिव का आभार प्रकट करने के लिए इसी मंदिर पर भगवान शिव को समर्पित शिवलिंग की स्थापना कर उसका पूजन किया |
जिस स्थान पर अर्जुन ने बाण मारा उस स्थान पर जल की धारा निकली और वर्तमान समय में उसे “गुप्तनौली” के नाम से जाना जाता है | पांडवो द्वारा शिवलिंग की स्थापना करने के बाद आमलिका एकादशी को शक्तिपीठ की वर्षगाँठ के रूप में मनाया जाता है | इस दिन दूर से आये लोग मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना करते है |
मानेश्वर मंदिर के अलावा आप अन्य प्राचीन लोकप्रिय मंदिर जैसे कि पूर्णागिरी मंदिर , आदित्य मंदिर , क्रांतेश्वर महादेव मंदिर , बालेश्वर मंदिर , पंचेश्वर महादेव मंदिर , नागनाथ मंदिर और कामख्या देवी मंदिर के दर्शन भी कर सकते है |
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Google Map of Maneshwar Temple !!
मानेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो कि चम्पावत शहर से करीब 7 कि.मी. की दुरी पर चम्पावत-पिथौरागढ़ मोटर मार्ग से 1 कि.मी. की दुरी पर स्थित है | आप इस स्थान को निचे Google Map में देख है |