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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
राज्य मानवाधिकार आयोग
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मानवाधिकार संरक्षण संशोधन अधिनियम 2019
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 MCQs
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मानव अधिकारों के संरक्षण से जुड़ें अधिनियम
मानव अधिकार सरंक्षण अधिनियम, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मानव अधिकार सरंक्षण अधिनियम, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1993 में मानव अधिकारों का निर्धारण
अधिनियम के अंतर्गत आयोग को कार्य
जांच के संबंध में आयोग को शक्तियां
आयोग का अन्वेषण दल
आयोग की स्वायत्ता
आयोग शिकायतों पर जांच
जांच के बाद आयोग के कदम
सशस्त्र बलों के सबंध में अधिनियम
शिकायत की भाषा
आयोग द्वारा किस प्रकार की शिकायतों पर विचार नहीं किया जाता
प्राधिकरणों/राज्य/केन्द्र सरकार के दायित्व
विषय जिन पर शिकायतें प्राप्त होती हैं
आयोग के कार्यों में किस विषय पर फोकस होता है
आयोग की महत्वपूर्ण पहलें
आयोग कहां पर स्थित है
1993 में मानव अधिकारों का निर्धारण
मानव अधिकार सरंक्षण अधिनियम, 1993 में मानव अधिकारों को किस प्रकार निर्धारित किया गया है ?
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2 के अनुसार ''मानव अधिकारों'' का अर्थ है संविधान के अंतर्गत गांरटित अथवा अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में सम्मिलित तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय जीवन, स्वतंत्रता, समानता तथा व्यक्ति की गरिमा से संबंधित अधिकार। ''अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं'' का अर्थ है 16 दिसम्बर 1966 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकृत सिविल एवं राजनैतिक अधिकारों संबंधी अंतराष्ट्रीय प्रसंविदा तथा आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों संबंधी अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा।
अधिनियम के अंतर्गत आयोग को कार्य
अधिनियम के अंतर्गत आयोग को कौन से कार्य सौंपे गए हैं ?
आयोग निम्नलिखित सभी कार्य अथवा इनमे से कोई भी कार्य करेगा :-
1. स्वयं पहल करके अथवा किसी पीड़ित या उनकी ओर से अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई याचिका पर, इन शिकायतों की जांच करेगा -
मानव अधिकारों का हनन अथवा दुरूत्साहित करना
अथवा लोक सेवक द्वारा इस प्रकार के हनन की रोकथाम में लापरवाही
2. न्यायालय के समक्ष लंबित मानव अधिकारों के हनन के किसी आरोप से संबंधित किसी कार्यवाही में उस न्यायालय की मंजूरी के साथ हस्तक्षेप करना
3. राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन किसी जेल अथवा किसी अन्य संस्थान, जहां लोगों को उपचार, सुधार अथवा संरक्षण के उद्देश्य से कैद अथवा बंद रखा जाता है, का वहां के संवासियों के जीवनयापन की दशाओं का अध्ययन करने तथा उनके संबंध में संस्तुतियाँ करने के लिए राज्य सरकार को सूचित करते हुए, दौरा करना।
4. मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए इसके द्वारा अथवा संविधान के अंतर्गत अथवा कुछ समय के लिए लागू किसी कानून के सुरक्षोपायों की समीक्षा करना
5. उन तथ्यों की समीक्षा करना, जिसमें आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं जो मानव अधिकारों के उपयोग को रोकती हैं तथा उचित उपचारी उपायों की संस्तुति करना
6. मानव अधिकारों से संबंधित संधियां एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों का अध्ययन करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु संस्तुतियां करना
7. मानव अधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करना तथा उनको बढ़ावा देना
8. समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानव अधिकार शिक्षा का प्रसार करना तथा प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनार तथा अन्य उपलब्ध साधनों से इन अधिकारों के संरक्षण हेतु उपलब्ध सुरक्षोपायों की जागरूकता को बढ़ाना
9. गैर सरकारी संगठनों एवं मानव अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों के प्रयास को बढ़ावा देना
10. मानव अधिकारों के संवर्ध्दन हेतु आवश्यक समझे जाने वाले इसी प्रकार के अन्य कार्य।
जांच के संबंध में आयोग को शक्तियां
जांच के संबंध में आयोग को कौन सी शक्तियां दी गई हैं ?
अधिनियम के अंतर्गत शिकायतों पर जांच करते समय आयोग को कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 के अंतर्गत वे सभी शक्तियां प्राप्त हैं जो सिविल कोर्ट किसी वाद के विचारण के समय अपनाता है। विशेषरूप से निम्नलिखित है :-
1. गवाहों की उपस्थिति हेतु समन करना तथा हाजिर करना तथा शपथ पर उनकी जांच करना
2. किसी दस्तावेज को ढूंढना एवं प्रस्तुत करना
3. हलफनामे पर साक्ष्य प्राप्त करना
4. किसी पब्लिक रिकॉर्ड को मांगना अथवा किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से उनकी प्रति मांगना
5. गवाहों अथवा दस्तावेजों की जांच के लिए शासन पत्र जारी करना
6. निर्धारित किया गया कोई अन्य मामला
आयोग का अन्वेषण दल
क्या आयोग का अपना अन्वेषण दल है ?
हाँ, मानव अधिकारों के हनन की शिकायतों पर जांच करने के लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में आयोग का अपना जांच स्टाफ है। अधिनियम के अंतर्गत किसी अधिकारी अथवा केन्द्र अथवा किसी राज्य सरकार के अन्वेषण अभिकरण की सेवाओं का उपयोग करने के लिए यह आयोग मुक्त है। आयोग जांच कार्य के लिए अनेक मामलों में गैर-सरकारी संगठनों को अपने साथ जोड़ा है।