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यह वीडियो एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय कविता पर है जो हमारे सांसद मनोज झा जी द्वारा संसद में 'ठाकुर का कुआँ' कविता का पाठ करने के पश्चात्ताप और विवाद के बारे में है। इस वीडियो में हम इस कविता के महत्व को और इसके सोशल, सांस्कृतीक, और राजनीतिक पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे। हम इस वीडियो में ओमप्रकाश वाल्मीकि के कविता और मनोज झा जी के इस कार्य की महत्वपूर्ण चरणों को विचार करेंगे।
अद्भुत रचना: 'ठाकुर का कुआँ'
पहले चरण में, हम ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता 'ठाकुर का कुआँ' के बारे में चर्चा करेंगे। यह कविता वाल्मीकि जी की व्यक्तिगत अनुभवों और समाजिक चिंतन का परिणाम है, और इसका महत्व है क्योंकि यह एक ऐसी कविता है जो हमारे समाज में आलोचना के साथ मिलती है।
'ठाकुर का कुआँ' कविता के माध्यम से, वाल्मीकि जी ने अपने अनुभवों को, व्यक्तिगत संघर्षों को, और जाति और वर्ग के विभेद के प्रति अपनी आलोचनात्मक दृष्टिकोण को व्यक्त किया है। यह कविता उनके आत्म-समर्पण की एक प्रतिक्रिया है और उनके जीवन में हुए अन्यायों के प्रति उनकी आलोचना का परिणाम है। वाल्मीकि जी ने इस कविता के माध्यम से अपने अनुभवों को एक अद्वितीय और सुनहरे रंग में पेश किया है, जिसका आदर वाचकों के दिलों में होना चाहिए।
समाज में जाति और वर्ग के विभेद का प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण
वाल्मीकि जी के विचार के माध्यम से हम इस विचार को समझ सकते हैं कि किस प्रकार से जाति और वर्ग के विभेद का समर्पण एक व्यक्ति के आत्म-समर्पण और स्वभाव को कैसे प्रभावित कर सकता है। इस कविता के माध्यम से वाल्मीकि जी ने जाति और वर्ग के विभेद की विरोधी भावना को उजागर किया है और यह बताया है कि इस विभेद के पीछे कितना अधिक दरिद्रता और अन्याय है।
अपनी कविता में, वाल्मीकि जी ने एक सामाजिक स्थान से नीचे आने के अनुभव को बड़ी उम्र में अपनाया और इसका परिणाम दिखाया है। उन्होंने बताया है कि जाति और वर्ग के विभेद कैसे एक व्यक्ति के संजीवन आत्मा को दबा देता है और उसे उसकी मानवता से दूर ले जाता है।
महत्वपूर्ण बिंदु: चुनौती और संघर्ष
इस कविता में, वाल्मीकि जी ने अपने जीवन के संघर्ष को भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि उन्होंने अपने सपनों के पीछे पड़ कर कितना संघर्ष किया है और कैसे उन्होंने जीवन की चुनौतियों का सामना किया है।
यह कविता सामाजिक और आर्थिक विभेद के खिलाफ एक शक्तिशाली संदेश देती है, और वाल्मीकि जी की अद्वितीय कला और दर्शन के माध्यम से हमें यह याद दिलाती है कि अगर हम सच्ची मेहनत करें और आत्म-समर्पण दिखाएं, तो हम किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
जगह का महत्व: 'कुआँ' का प्रतीक
कविता में 'कुआँ' का महत्वपूर्ण रोल है, और यह एक प्रतीक के रूप में कार्य करता है। 'कुआँ' संघर्ष के सामर्थ्य को प्रतिष्ठित करता है, जो हमें अपनी जीवन की दुर्बलता और कमजोरी को परिभाषित करने के लिए एक प्राचीन प्रतीक के रूप में दिखाई देता है। '
【Poem : Thakur Ka Kuan】
चूल्हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का ।
The stove is made out of mud
The mud is sourced from the lake
The lake belongs to the landlord
भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का ।
(We have) A hunger for bread
Bread made of pearl millet
Pearl millet grown in the fields
The field belongs to the landlord
बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फ़सल ठाकुर की ।
The bull belongs to the landlord
The plough belongs to the landlord
The hands on the shaft of the plough are ours
The harvest belongs to the landlord
कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्ले ठाकुर के
फिर अपना क्या ?
गाँव ?
शहर ?
देश ?
The well belongs to the landlord
The water belongs to the landlord
The crops and the fields belong to the landlord
The lanes that run through these neighbourhoods belong to the landlord
Then what is ours?
The village?
The city?
The nation?