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• आने वाली पीढ़ियों का सोचो ! उन्हें गलत बातें मत बताओ, मत सिखाओ !
• अगर हम गलत परम्पराओं को खड़ी करेंगे तो नई पीढियां क्या सीखेगी ?
• मत भूलो कि समाज को गलत मार्ग दिखाकर आपको और आपकी नस्लों को बहुत पछताना पड़ सकता है !
• धर्म या समाज को गलत मार्ग पर ले जाने का अर्थ है अपने लिए घोर दुःखों को न्योता देना ! इतिहास कभी ऐसी हरकतों को माफ नहीं करेगा !
• जैनधर्म या समाज के कार्यक्रम फाइव स्टार होटलों में नहीं हो सकते !
• तीर्थंकर प्रभु के मंदिरों और उनकी मूर्तियों के निर्माण से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, उनके सिद्धांतों की रक्षा करना !
• तीर्थंकरों के सिद्धांतों को तोड़ना उनकी हत्या के बराबर होगा !
• जैनधर्म और समाज अलग-अलग नहीं हो सकते ! ये तर्क ही सर्वथा गलत है !
समाज में गलत काम करने के इच्छुक लोग इस तर्क के सहारे अपने पापों को पनाह देना चाहते हैं !
• किसी भी कीमत पर किसी साधु-साध्वी, संघ, संगठन, मंडल, ट्रस्ट या व्यक्ति को जैनधर्म के मूलभूत सिद्धांतों को तोड़ने का अधिकार नहीं मिल सकता !
• समाज में धन की नहीं, गुणों की पूजा होनी चाहिये. समाज और धर्म का नेतृत्व सही हाथों में होना चाहिये, गलत लोगों के पास नहीं !
- आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब
(Nayi Soch, Sahi Disha की प्रस्तुति)
9967762222.
(यदि आप इस वीडियो और वक्तव्य से सहमत हों तो अपने विचार, अपने कमेंट्स हमें लिखकर भेजिये. समाज व धर्म के हित में अच्छे लोगों का संगठित होना अत्यंत आवश्यक हैं)
• सूचना : इस वक्तव्य के न्यायिक वाद-विवाद का क्षेत्र चेन्नई रहेगा.
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It is a generous campaign dedicated to Lord Mahavireer's principle in the name of Revolutionary, Versatile & Vigorous Preacher Aacharya Shree Vimalsagarsuriji.
It is Purely Sacred, Perceptional & Intellectual effort to bring one’s attention on life values in the form of Religious Integrity, Social Intimacy, National Pride, Human Values, Spiritual Supremacy,
Non Violence, Good Faith, Vegetarianism, Indian Culture, Karma Theory & much more.
It Emphasizes on Awakening the Youth, Prospering Women Welfare, Promoting Communal Harmony, Maintaining Cultural Pride & Enhancing Jain Ideology.
क्रांतिकारी-ओजस्वी प्रवचनकार आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज के प्रवचन और विविध आयोजन भगवान महावीरस्वामी के सिद्धांतों को समर्पित सर्व हितकारी अभियान हैं.
यह जैनधर्म, अध्यात्म, समाज, संस्कृति, राष्ट्रीयता, अहिंसा, नैतिकता, सुसंस्कार, शाकाहार, सद्भावना, आहार विज्ञान, कर्मवाद और मानवता की सेवा का पावन पुरुषार्थ है.
सकारात्मक सोच, युवा जागरण, कन्या उत्कर्ष, साम्प्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव इसके सार्थक माईल स्टोन हैं.