मेरे मौला को मयस्सर है ख़ज़ाना कैसा! इनका रुतबा है इमामों में शहाना कैसा! कैसे-कैसे हैं नसीबो में उजाले इनके! मेरे आक़ा को मिला है ये घराना कैसा! मरहबा! मरहबा! मुस्तफ़ा की बात में बा-ख़ुदा बा-ख़ुदा सारी कायनात में गूंज रहा है बस एक नाम… हज़रत इमाम हुसैन अ़लै हिस्सलाम हज़रत इमाम हुसैन अ़लै हिस्सलाम
@Mohd-rk2so10 ай бұрын
Mashaallha
@SirsiSadatAzadari9 ай бұрын
Shukriya bahut bahut hosla afzai ke liye Please subscribe and share also keep Supporting
@RezaHammad10 ай бұрын
اسی محفل میں سرور نواب صاحب نے جو کلام پڑھا وہ بھی عنایت کیجیے
@SirsiSadatAzadari9 ай бұрын
Ji zaroor Shukriya bahut bahut hosla afzai ke liye Please subscribe and share also keep Supporting