मज़ार पर मज़ार वाले को माबूद समझकर इबादत की नीयत से सज़दा करना बेशक शिर्क है। लेकिन कोई भी इंसान मज़ार पर सज़दा इबादत की नीयत से नहीं करता है। इबादत की नीयत छोड़कर किसी भी नीयत से सज़दा करना हराम है। इबादत की नीयत छोड़कर किसी भी नीयत से सज़दा करने को शिर्क कहने वाला आलिम नहीं हो सकता। जाहिल ज़रूर हो सकता है।
@FAHEEMReAction2 ай бұрын
Sajda sirf Allah ke liye hai isme ibadat ki karna ya na karne ka sawal hi paida nhi hota