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"हर हर महादेव !!! एक बार फिर से आप सभी का हमारे कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनन्दन, भक्तों, आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं जो अपने आप में बहुत ही अद्भुद है, जो पूरे देश में अपने जैसा एकमात्र मंदिर है, जहाँ भगवान् के साथ ही मेंढक की भी पूजा होती है तो आइये आज दर्शन करते हैं उत्तर भारत के एक प्रसिद्ध, प्राचीन एवं रहस्यमयी “मेंढक मंदिर” के ।
यह अद्भुद मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के समीप ही ओयल कस्बे में स्थित है. यह भगवान शिव को समर्पित तांत्रिक मंदिर है, आस्था है यहाँ आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होतीं हैं, विशेष अवसरों पर साधु सन्यासी यहाँ पर तंत्र साधना भी करते हैं, यह क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा था। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही 1755 ईस्वी में इस अनोखे मंदिर का निर्माण कराया था। उस समय ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था. तथा ओयल शासक भगवान शिव के उपासक थे. कुछ किवदंतियों के अनुसार - ओयल नरेश का युद्ध गुसाई सेना के साथ हुआ था गुसाई सेना के अधिकतर लड़के ब्राह्मण थे, ओयल नरेश ने गुसाई सेना को हराकर उनका धन छीन लिया था, क्योंकि ब्राह्मण के धन को राजकोष में नहीं रख सकते इसीलिए ओयल नरेश बक्त सिंह ने उस धन से यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया... मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार - सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था।
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