आज दधि मीठो मदन गोपाल । भावत मोही तिहारो झूठो, चंचल नयन विशाल ॥ आन पत्र बनाये दोना, दीये सबन को बाँट । जिन नही पायो सुन रे भैया, मेरी हथेली चाट ॥ बहुत दिवस हम रहे कुमुदवन, कृष्ण तिहारे साथ । एसो स्वाद हम कबहू न चाखायो सुन गोकुल के नाथ ॥ आपुन हँसत हँसावत ग्वालन, मानस लीला रूप । परमानंद प्रभु हम सब जानत , तुम त्रिभुवन के भूप॥