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#मालवास
गुजरात एवं राजस्थान के सरहदी (उत्तर गुजरात एवं दक्षिणी राजस्थान)विस्तार में जनजाति समुदाय के लोग माघ महीने में अपने इष्ट देव की पूरे महीने पर शानदार तरीके से पूजा अर्चना करते हैं जिसमें वह पूरा क्षेत्र उत्साह एवं उमंग के साथ जुड़ता है | इस महीने का इंतजार साल भर से रहता है हरगांव में देवरा बावसी (मेंदेंर) जिसमें अलग-अलग तरह की 9-12-15-16-21मूर्तियां भी होती है जो गांव के लोग मिलकर उसकी पूजा करते हैं हर 5 साल वह मिट्टी की मूर्तियां होने के कारण उसको बदली जाती है । वह लेने के लिए राजस्थान के राजस्वसमंद जिले से मोलेला गांव से लाई जाती है उसे वक्त कठोर तब का पालन करना होता है जिसमें एक ही टाइम खाना बिना जूते चलना और मांसाहार का त्याग होता है जो घाव के भूपेन लोग बड़े आस्था के साथ इस पूजा अर्चना को पूर्ण करते हैं।
जिस गांव में नई मूर्तियां लाई जाती है वहां राती जगह करके बहुत बड़ा प्रसंग होता है जिसमें गाव की अन्य गांव में दी हुई बेटियां आती है और मंदिर की दर्शन करके धन्यता का अनुभव करते हैं । जब वह मिलती है तो बालर बांधकर अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करती है और यह यही गीत है।
#ललीतम्_स्मृतिकूंज
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