जय श्री राधे कृष्णा हरे 🙏 बहुत शानदार बात बताई गुरुजी ने 🙏 शारदा बिश्नोई कि तरफ से स्वामी श्री रामा आचार्य जी को राधे-राधे 🙏👏👏🙏🪔🪔🪔🕉️🕉️🕉️🌺🌺🌺🌺🌺
@sumitjyani7127 Жыл бұрын
Kkkk
@BALWANTSINGH-dm1gu19 сағат бұрын
Om vishnu
@KrishanSuthar-f4yАй бұрын
Namo namo guru dav
@swaze97vetscience Жыл бұрын
बहुत सुंदर बात है जी
@prembishnoi8183 Жыл бұрын
बहुत ही सुंदर बात कही गुरूजी
@DipakKumar-gj5xg Жыл бұрын
❤
@bishnoilok9598 Жыл бұрын
*भगवान जाम्भो जी ने क्या कहा और क्या नहीं कहा* कई बार किसी विषय पर चर्चा करते हुए कुछ सज्जन एक प्रश्न दाग देते हैं कि क्या जाम्भो जी ने ये काम वर्जित किया था जो हम न करें। उदाहरण के रूप में *मृत्युभोज* *बाल विवाह* *अंतरजातीय विवाह* इत्यादि इत्यादि कई विषय ऐसे हैं जिनका स्पष्ट रूप से सबदवाणी या 29 नियमों में उल्लेख नहीं मिलता। हालांकि मृत्युभोज न करने के लिए तो सबदवाणी का ये कथन कि:- *जो कुछ कीजे मरने पहले मत भल कहि मर जाइये।* ही काफ़ी है जो ये बताता है कि आदमी को जो कुछ भी पुण्य का काम करना है वो जीते जी ही अपने हाथ से ही करना चाहिए।सबदवाणी जीने की युक्ति व मरणोपरांत मोक्ष का ज्ञान देती है ताकि पुनर्जन्म न हो। सबदवाणी का ज्ञान पुनर्जन्म की तरफ़ नहीं धकेलता बल्कि मोक्ष का ज्ञान प्रदान करता है। वैसे भी मौत पर खिलाना पिलाना कोई पुण्य है भी नहीं। खिलाना पिलाना ख़ुशी के अवसर पर होता है न कि मौत पर। किसी दुश्मन की मौत भी किसी के लिए हर्ष की घड़ी नहीं हो सकती हां राहत की घड़ी ज़रूर हो सकती है। विवेक करने वाली बात तो ये है कि हमारे जीवन में सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, कानूनी, व्यवसायिक, व्यवहारिक, खेल से सम्बंधित, तकनीक से सम्बंधित व अन्य हज़ार तरह की अनेकानेक बातें होती हैं अनेकानेक काम होते हैं अनेकानेक परिस्थितियां व समस्याएं होती हैं। इसलिए क्या आप ये चाहते हैं कि आपकी सारी बातों , समस्याओं व परिस्थितियों का जवाब जाम्भो जी दे कर ही जाते। क्या जाम्भो जी ये भी बता कर जाते कि आपको परिवार नियोजन करना है या नहीं, वकील जज, व्यापारी, खिलाड़ी, तकनीशियन इत्यादि बनना है या नहीं, सँयुक्त परिवार रखना है या बंटवारा करना है, इत्यादि इत्यादि। कहने का तातपर्य ये है कि जीवन में अनेकानेक ऐसी बातें होती हैं जिनका उत्तर केवल सबदवाणी या 29 नियमों में ही तलाशना उचित नहीं है न ही सम्भव है। इसलिए केवल ये कह देना कि सबदवाणी में उल्लेख नहीं है या मना करने का कोई वाक्य नहीं है तो वो सारे काम करने की आपको छूट दी गई है। आपको ये भी सोचना व देखना होगा कि मनाही नहीं है तो आज्ञा भी है या नहीं। इसलिए किसी भी विषय पर चर्चा करते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना अति आवश्यक होता है कि हमारे प्रश्न तर्कसंगत भी हैं या नहीं या केवल कुतर्क हैं। कोई भी प्रश्न विषय से हट कर भी नहीं होना चाहिए। जैसे विषय यदि मृत्युभोज का है तो उस चर्चा के दौरान मद्यपान का कोई प्रश्न हूड़े के रूप में नहीं दागा जा सकता कि पहले पद्यपान छुड़वाओ और चर्चा यदि मद्यपान छुड़वाने की हो रही है तो हूड़े के रूप में ये नहीं कहा जा सकता कि पहले मृत्युभोज बन्द करो। चर्चा यदि अंतरजातीय विवाह पर चल रही है तो हूड़े के रूप में ये विषय या प्रश्न बीच में नहीं फसाया जा सकता कि पहले अफ़ीम और दहेज छुड़वाओ। सारी बुराइयां दूर होनी चाहिए परन्तु यदि कोई 10 बुराइयों में से कोई 10 की 10 दूर करने या छुड़वाने की बात नहीं कर सकता तो क्या वो किसी एक बुराई को छुड़वाने की बात भी नहीं कर सकता क्या। ऐसे हूड़े कुतर्क कहलाते हैं। इसलिए इनसे बचना चाहिए और स्वस्थ चर्चा करनी चाहिए। कोई आदमी यदि कोई एक कुरीति बन्द करने की बात कर रहा है या उस पर काम कर रहा है तो हूड़े अड़ाने की बजाय उनको भी कोई एक दूसरी कुरीति या बुराई को बंद करने का अभियान चलाना चाहिए धन्यवाद🙏
@bishnoilok9598 Жыл бұрын
चाहे सादा दाल रोटी हो चाहे हलुवा हो, , भोजन चाहे कैसा भी है वो है तो अन्न व भोजन ही । इसलिए किसी की मौत पर आप यदि भोजन करते हैं तो वो मृत्युभोज ही कहलाएगा। खाया चाहे कुछ भी हो खाया तो मौत पर ही होगा। जबकि शास्त्र ये कहते हैं कि शोक की घड़ी में संवेदना प्रकट करने के लिए जाने वालों को मृतक के घर अन्न तो दूर जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
@sundarbishnoi7434 Жыл бұрын
Bilkul sahi bat he Bishnoi lok ji
@sarvan291 Жыл бұрын
सत्य वचन महोदय🙏 क्या आपने जो लिखा है उसपर काबिज रहते है
@JaiRam-u7pАй бұрын
🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@VishnuBishnoiVishnuBishnoi-o8r10 ай бұрын
जय।हो
@JethaRam-bl3vq Жыл бұрын
Right guru dev
@RaviKumar-bishnoi Жыл бұрын
🙏🙏🙏
@RamChandra-xw5ud2 жыл бұрын
All the best drakasen🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@samarthvishnoi6989 Жыл бұрын
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🙏🏻🙏🏻
@PremparkashKumar-r3t27 күн бұрын
प्रणाम गुरुदेवजी भगवान प्रेम प्रजापत। मुत्यू भोज नही करे तो तानै देतै अपने पुर्वजों कै कुछ नही किया
@bishnoilok9598 Жыл бұрын
*मृत्युभोज व अंतिम संस्कार में भेद* मृत्युभोज व अंतिम संस्कार दोनों भिन्न भिन्न हैं। जो कुछ कीजे मरणे पहले, मत भलके हि मर जाइये। अन्तिम संस्कार का मतलब है कि जो मनुष्य इस जनम में आया है उसका वही दिन अन्तिम है जिस दिन उसने प्राण तज दिए, उसके बाद वह देह निर्जीव हो जाती है। मनुष्य सामाजिक प्राणी होता हे तो उसके बेटे भाई मां बाप, सगे सम्बन्धी, परिवार सब होते हैं । इसलिए जो देही निर्जीव है उसके मृत शारीर की दुर्गति ना हो इसके लिए उसे सम्मान के साथ अन्तिम क्रिया ,जो जिस समाज मे परम्परा है , की जाती है। कोई शव को गाडता हे,कोई अग्नी मे जालाता हे,क़ोई जल दाग देता हे,संसार मे अलग अलग अन्तिम संस्कार यानि मृत देह को युक्ति पुर्वक समाज परिवार द्वारा अन्तिम विदाई देना। हिन्दू समाज मे,मृत शरीर को जलाने के बाद उसके जले हुए अवशेष गंगा मे विसर्जन का रिवाज है ,पर हमारे बिश्नोई समाज में यह प्रथा नही है,क्योकि हमारे गुरु जाम्भो जी ने इसे व्यर्थ का कर्मकांड बताया था।हमारे यहाँ मृत व्यक्ति को सबसे पहले पवित्र जल से स्नान कराना,नया कपङा ओढाना, सम्मान से कंधे पर लाद कर शमशान तक ले जा कर अन्तिम विदाई के बाद वापस घर आ कर स्नान व कपङे बदलकर तुलसी के पौधे मे जलानजली देते हैं। यही दाग व जलांजलि मृतक का अन्तिम संस्कार है बस। उसके बाद गुरु महाराज जाबोजी द्वारा बताया गया पवित्र पाहल लिया जाता है। यहीं पर अन्तिम संस्कार पुरा हो जाता है।इससे आगे जो भी कार्यक्रम करते हैं वो सामाजिक बङाई के कार्यक्रम होते हैं,और लोकदिखावे व लोगों के दबाव के कारण होते हैं।उन कार्यक्रमों का अन्तिम संस्कार से क़ोई सरोकार नहीं है,झूठी मान बङाई के लिए खाना पिना दान आदी किये जाते हैं। मृत्यु के समय शामिल होने को शोक सभा कहते हैं। शोक अर्थात दुख संवेदना। परन्तु लोग शोक मे भी माल मलिदा खाते हैं। एक तरफ घर के लोग शोक मे बैठे रो रहे हैं, बेटी आंगन में बांग मार रही है।और एक तरफ बिना लाज शर्म के हंस हंस कर व आनंद ले कर माल मलाई उङा रहे हैं ।यह कैसा अन्तिम संस्कार हुआ। मृत्यु भोज 100% असंवेदनशील व घृणित कार्य है। मनुष्य ने जीते जी जैसे कर्म किये हैं उसे उसी के आधार पर पाप पुण्य मिलता है। आज मुआ कल दसर दिन है,जो कुछ सरे तो सारी जीव ने। गुरु महाराज ने मनुष्य को सावचेत करते हूऐ ये शब्द कहा था। मरने के बाद परिवार द्वारा किया गया भोजन व अन्य दान पुण्य या कार्य या कोई भी कार्यक्रम मृत जीव के कोई काम नही आता । ये सब संवेदनहीनता, लोकदिखावा व झूठी बड़ाई के कारण किया गया घृणित कार्य है।
@surendrabishnoi6912 Жыл бұрын
👍, 🙏🙏🙏 guru ji 🙏
@sarvan291 Жыл бұрын
हर एक गांव में मृत्यु भोज पर गणमान्य लोगों द्वारा विशेष चर्चा होनी चाहिए और गांव में इस पर विशेष प्रतिबंध होना
गुरु जी जिस आत्मा का मनुष्य शरीर छुट गया है उसको शांति के लिए हमें क्या करना चाहिए हमने सुना है 13दिन तक खाना खिलाने से उस जीव को खाने को मिलता है
@जम्भशक्ति-झ1घ Жыл бұрын
Purano m jikr h is bat ka ki mrityu k bad sirf 13 din tk wo jeev rhta h apne pariwar m hi uske bad chla jata h
@जम्भशक्ति-झ1घ Жыл бұрын
Mrityu bhoj baal vivah bnd hone chahiy panth m kharid k bahu lane walo ka bhi bahiskar hona chahiy Lana h to ldki lao kharid k bandhua majdur la rhe ho ky