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निकुंजवन में जब बहुत ढूंढने पर भी श्याम सुंदर नही मिले तब गोपियों को बहुत विरह हुआ वन के पेड़ पत्तों से शाखाओं से फूलों से लता पताओं से श्याम का पता पूछती है जब पता नही मिलता तो गोपियाँ श्याम सुंदर को पुकारती हैं और एक दूसरे को आशा बंधाती है कि आशा रख पगली वो आएंगे
स्वर : श्रद्धेय श्री धीरज बावरा जी
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