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Mrit Sanjeevani kavach in hindi - मृत संजीवनी कवच | Mrit Sanjeevani mantra - मृत संजीवनी मंत्र 🕉️🚩
🧿तंत्र-मंत्र,जादू-टोना,रोग नाश के लिए संजीवनी बूटी 🚩
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Mrit Sanjeevani kavach ke fayde / Mrit Sanjeevani kavach ke labh
मृत संजीवनी कवच के फायदे / मृत संजीवनी कवच के लाभ
Mrit Sanjeevani mantra ke labh / Mrit Sanjeevani mantra ke fayde
मृत संजीवनी मंत्र के लाभ / मृत संजीवनी मंत्र के फायदे
पुराणों तथा शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ को मृतुन्जय कहा गया है | मृत्युंजय अर्थात् जिसने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लिया हो , मृत्यु का जिस पर कोई प्रभाव न हो , वह जो जन्म - मृत्यु के बंधन से मुक्त हो | भगवान शिव शंभू भोलेनाथ न आदि हैं और ना अंत , वे अजन्मा और अविनाशी हैं संजीवनी विद्या या मृतसंजीवनी एक ऐसी विद्या है जो मृत अथवा रोग व्याधि , चोट - चपेट , या किसी तांत्रिक प्रयोग के कारण मृतअवस्था में पड़े मनुष्य को पुन: जीवनदान दे सकती है और यह विद्या केवल भगवान् शिव के पास हैं , यह मृत संजीवनी कवच स्वयं भगवान आशुतोष अर्थात थोड़े ही स्तुति से प्रसन्न होने वाले कैलाशपति भगवान शिव से मृत संजीवनी की प्राप्ति का एक उत्तम साधन है
इस महान स्त्रोत्र की रचना अयोध्या के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ जी ने की थी
जो कोई भी इसका एकाग्र चित्त से पाठ करता है, उसे जीवन में किसी भी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता
दोनों हाथों को जोड़कर भगवान महाकाल सहित माता पार्वती का ध्यान करें और इस स्तोत्र का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें
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Mrit Sanjeevani kavach - मृत संजीवनी कवच
Mrit Sanjeevani mantra - मृत संजीवनी मंत्र
एवमाराध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयेश्वरम्।
मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा।।१।।
सारात्सारतरं पुण्यं गुह्यात्गुह्यतरं शुभम्।
महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकम्।।२।।
समाहितमना भूत्वा शृणुश्व कवचं शुभम्।
शृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा।।३।।
वराभयकरो यज्वा सर्वदेवनिषेवित:।
मृत्युञ्जयो महादेव: प्राच्यां मां पातु सर्वदा।।४।।
दधान: शक्तिमभयां त्रिमुखं षड्भुज: प्रभु:।
सदाशिवोऽग्निरूपी मामाग्नेय्यां पातु सर्वदा।।५।।
अष्टादशभुजोपेतो दण्डाभयकरो विभु:।
यमरूपी महादेवो दक्षिणस्यां सदावतु।।६।।
खड्गाभयकरो धीरो रक्षोगणनिषेवित:।
रक्षोरूपी महेशो मां नैऋत्यां सर्वदावतु।।७।।
पाशाभयभुज: सर्वरत्नाकरनिषेवित:।
वरूणात्मा महादेव: पश्चिमे मां सदावतु।।८।।
गदाभयकर: प्राणनायक: सर्वदागति:।
वायव्यां वारुतात्मा मां शङ्कर: पातु सर्वदा।।९।।
शङ्खाभयकरस्थो मां नायक: परमेश्वर:।
सर्वात्मान्तरदिग्भागे पातु मां शङ्कर: प्रभु:।।१०।।
शूलाभयकर: सर्वविद्यानामधिनायक:।
ईशानात्मा तथैशान्यां पातु मां परमेश्वर:।।११।।
ऊर्ध्वभागे ब्रह्मरूपी विश्वात्माऽध: सदावतु।
शिरो मे शङ्कर: पातु ललाटं चन्द्रशेखर:।।१२।।
भूमध्यं सर्वलोकेशस्त्रिणेत्रो लोचनेऽवतु।।
भ्रूयुग्मं गिरिश: पातु कर्णौ पातु महेश्वर:।।१३।।
नासिकां मे महादेव ओष्ठौ पातु वृषध्वज:।
जिव्हां मे दक्षिणामूर्तिर्दन्तान्मे गिरिशोऽवतु।।१४।।
मृत्युञ्जयो मुखं पातु कण्ठं मे नागभूषण:।
पिनाकि मत्करौ पातु त्रिशूलि हृदयं मम।।१५।।
पञ्चवक्त्र: स्तनौ पातु उदरं जगदीश्वर:।
नाभिं पातु विरूपाक्ष: पार्श्वो मे पार्वतिपति:।।१६।।
कटद्वयं गिरिशौ मे पृष्ठं मे प्रमथाधिप:।
गुह्यं महेश्वर: पातु ममोरु पातु भैरव:।।१७।।
जानुनी मे जगद्धर्ता जङ्घे मे जगदंबिका।
पादौ मे सततं पातु लोकवन्द्य: सदाशिव:।।१८।।
गिरिश: पातु मे भार्या भव: पातु सुतान्मम।
मृत्युञ्जयो ममायुष्यं चित्तं मे गणनायक:।।१९।।
सर्वाङ्गं मे सदा पातु कालकाल: सदाशिव:।
एतत्ते कवचं पुण्यं देवतानांच दुर्लभम्।।२०।।
मृतसञ्जीवनं नाम्ना महादेवेन कीर्तितम्।
सहस्त्रावर्तनं चास्य पुरश्चरणमीरितम्।।२१।।
य: पठेच्छृणुयानित्यं श्रावयेत्सु समाहित:।
सकालमृत्यु निर्जित्य सदायुष्यं समश्नुते।।२२।।
हस्तेन वा यदा स्पृष्ट्वा मृतं सञ्जीवयत्यसौ।
आधयोव्याधयस्तस्य न भवन्ति कदाचन।।२३।।
कालमृत्युमपि प्राप्तमसौ जयति सर्वदा।
अणिमादिगुणैश्वर्यं लभते मानवोत्तम:।।२४।।
युद्धारम्भे पठित्वेदमष्टाविंशतिवारकम।
युद्धमध्ये स्थित: शत्रु: सद्य: सर्वैर्न दृश्यते।।२५।।
न ब्रह्मादिनी चास्त्राणि क्षयं कुर्वन्ति तस्य वै।
विजयं लभते देवयुद्धमध्येऽपि सर्वदा।।२६।।
प्रातरूत्थाय सततं य: पठेत्कवचं शुभम्।
अक्षय्यं लभते सौख्यमिहलोके परत्र च।।२७।।
सर्वव्याधिविनिर्मुक्त: सर्वरोगविवर्जित:।
अजरामरणो भूत्वा सदा षोडशवार्षिक:।।२८।।
विचरत्यखिलान् लोकान् प्राप्य भोगांश्च दुर्लभान्।
तस्मादिदं महागोप्यं कवचं समुदाहृतम्।।२९।।
मृतसञ्जीवनं नाम्ना दैवतैरपि दुर्लभम्।
इति वसिष्ठकृतं मृतसञ्जीवन स्तोत्रम्।।३०।।
Mrit Sanjeevani kavach in hindi - मृत संजीवनी कवच हिंदी में
Mrit Sanjeevani mantra in hindi - मृत संजीवनी मंत्र हिंदी में
अर्थात: गौरीपति मृत्युञ्जयेश्र्वर भगवान् शंकर की विधिपूर्वक आराधना करने के पश्चात भक्त को सदा मृतसञ्जीवन नामक कवच का सुस्पष्ट पाठ करना चाहिये।
अर्थात: महादेव भगवान् शङ्कर का यह मृतसञ्जीवन नामक कवच तत्त्व का भी तत्त्व है, पुण्यप्रद है, गुह्य arthat गुप्त रखने योग्य और मङ्गल प्रदान करने वाला है।
अर्थात: अपने मन को एकाग्र करके इस मृतसञ्जीवन कवच को श्रवण करें । यह परम कल्याणकारी दिव्य कवच है। इसकी गोपनीयता सदा बनाये रखनी चाहिए............
rest of the sanjeevani kavach is in the video
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit
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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
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