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चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियां अपनी चुनावी वादों में पुरानी पेंशन की बहाली पर सियासत कर रही हैं। गुजरात का चुनाव हो या फिर हिमाचल प्रदेश, हर तरफ पार्टियां अपनी चुनावी वादों में पुरानी पेंशन की बहाली पर राजनीति कर रही हैं. बात पेंशन कर्मचारियों से जुड़ी है, जो बहुत बड़ा वोटर वर्ग है. और इसे लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां पेंशन स्कीम को हथियार बनाए हुए हैं. चुनावी दंगल में राजनीतिक पार्टियों के वादे के चलते दूसरे राज्य भी प्रभावित हैं. इसलिए अब नए सिरे से पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस शुरू हो गई है. पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 को बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया था. ये बात भी गौरतलब है कि राज्य सरकारों ने खुद ही पुरानी पेंशन व्यवस्था को हटाकर नई पेंशन व्यवस्था अपनाई थी। ऐसे में मुद्दा आपका में आज बात होगी पुरानी और नई पेंशन स्कीम की। जानेंगे आखिर क्यों पुरानी पेंशन व्यवस्था को क्यों बंद किया गया था। क्यों इसे वापस लागू करने की मांग की जा रही है और केंद्र सरकार का क्या स्टैंड है? पुरानी पेंशन योजना अर्थशास्त्र और राजनीति दोनों के लिहाज से क्या कहती है। नई पेंशन स्कीम से क्या है ऐतराज तमाम पहलुओं पर करेंगे चर्चा
Guest:
1.Subhomoy Bhattacharjee, Consulting Editor, The Business Standard
2. Anand Singh Bhal, Former Principal Economic Advisor, Govt. of India
3.Kavim Bhatnagar.Pension Economist
Anchor: Preeti Singh
Producer:- Pardeep Kumar
Production :- Surender Sharma
Guest Team- Vinod Kumar Singh, Paras Kandpal
Research- Dr. Nigam Kumar Jha
PCR TEAM- Ashutosh Jha, Sanjeev Gupta
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