भाई म्हारा जागो और जगाओ रै पर्यावरण शुद्ध हो जावै, पेड़ लगाओ रै।। धरती मां का ये ही गहना भाई बन्धु सुनियो बहिना अर्जी थांसू मानों कहना रल मिल घर घर जा समझाओ रै। पर्यावरण शुद्ध हो जावै, पेड़ लगाओ रै।। पेड़ कट रहया बारी बारी उजड़ रही ये बगियां सारी मत काटो समझो नर नारी जनहित आलस्य दूर भगाओ रै। पर्यावरण शुद्ध हो जावै, पेड़ लगाओ रै।। प्रकृति अब रुष्ट हुयाई कमी घणीं पाणी की आई बूंद-बूंद जल लेओ बचाई वृथा पाणी मती बगाओ रै। पर्यावरण शुद्ध हो जावै, पेड़ लगाओ रै।। पेड़ आपणां संगी साथी शुद्ध हवा पेड़ों से आती पशु पक्षी जन सबको भाती वृक्ष मत छांगो और छंगाओ रै। पर्यावरण शुद्ध हो जावै, पेड़ लगाओ रै।। आज्ञा मानों थे सरकारी पेड़ बचाबो रांखो जारी कवि सांवर मल अर्ज गुजारी परहित मन अपनों रंगाओ रै। पर्यावरण शुद्ध हो जावै, पेड़ लगाओ रै।। लेखक व गायक कवि सांवर मल सबल मो 9950531301