Tashud k baad darood parhna hi wilayat e Ali (AS) ka iqrar hai...
@thethinker85645 жыл бұрын
Tashahhud of Imam Jafar As Sadiq (as): .....اشهد ان لا اله الّا الله وحده لا شریك له و اشهد انّ محمّداً عبده و رسوله ..... اشهد انك نعم الرّبّ و انّ محمّداً نعم الرّسول و انّ علیاً نعم الوصی و نعم الامام ..... ...... I bear witness that no god but Allah alone with no partner and I bear witness that Muhammad is His slave and His Messenger.....I bear witness that you are the best Lord and that Muhammad is the best Messenger and that Ali is the Best Wasi and Imam..... [Ref: Fiqh-e-Majlisi Pg: 29]
@asadabbaskazmi78115 жыл бұрын
Beshak
@munsibkhan40485 жыл бұрын
ماشاءاللہ
@zawarahkazmi97035 жыл бұрын
Ali Haq Ali Haq Ali Haq Ali Haq Ali Haq
@ambarabidi6 жыл бұрын
अली अ०स० ही हक़ है अली अ०स० वलीउल्लाह है और अली अ०स० को जो वाली नही मानता उसकी नमाज़ ही क़बूल नही है। मगर तशाहूद उतना ही है। हुक्मे शरी है रसूलुल्लाह स०व०स० के बाद कोई नई वही नही आई इतना समझ ले फ़ितना गर । और जनाब शरीयत में तब्दीली मुमकिन नही है। ये जो हमको अमानत मिली है वो रसूलुल्लाह स०व०स० से मिली है हम सब का फर्ज़ बनता है कि हम उस अमानत को वैसेही महफ़ूज़ रख्हे तशाहूद बस इतना है। जितना हमारे रसूलुल्लाह स०व०स० ने हमे बताया है। और नमाज़ में तरकशी नही है। नमाज़ नाओजोबिल्ला मिर्ज़ा ग़ालिब का मिसरा नही है की आप मिसरे पे मिसरा लगाते रहे । नमाज़ अमानत है जैसी मिली है वैसी ही रहे गी और वैसे ही हक़ के सामने पेश करनी है। जैसे रसूलुल्लाह स०व०स० नमाज़ पढ़ी हम वैसी ही नमाज़ पढ़े गे जिसे मौला अली अ०स० ने नमाज़ पढ़ी हम वैसी नमाज़ पढ़े गे। जैसे मौला अली अ०स० ने तशाहूद पढ़ा हम वैसे तशाहूद पढ़े गे। साझे अकल के अंधो कोई नई वही नही आई और एक बात सुनो कम अक़्ली लोग नमाज़ में अली का नाम लेने से नमाज़ को मेहराज हो जाती है। लेकिन अली अ०स० का नाम वैसे लो जहा नमाज़ में इजाज़त है । फ़क़ीह से मुजतहिद से मसला पूछो एक मसहलः ए फ़क़ीह है। नमाज़ में दुआ मांगते है लेकिन उसकेलिए भी जहा इजाज़त दी गई है। इस लिए हम क़ुनूद में रुकूह में सजदे में दुआ करते है जो लोग तशाहूद में शहादते सलिसः अदा करतें है की अली अ०स० का नाम आजाए उनको ये खयाल रखना चाहिए कि अली नाम सब से अहम जुज़ में लो तशाहूद में ज़िद न करो भाईयो नमाज़ का सब से अहम जुज़ है सजदा शायद कुछ को तो ये भी नहीं पता होगा और और तक़लीद के खिलाफ़ बोलते है अक़ल के अंधो ये तुम्हारे लिए है नामज़ का सब से एहम जुज़ है सजदा अली अ०स० ने सजदे की हालत में ज़र्ब खाई है। सजदे में अली अ०स० का नाम लो और हमारे इमाम को ज़रबत लगाने वालों पर लानत करो नमाज़े वाजिब में फ़रीज़े फ़ज्र फ़रीज़े जोहोर फ़रीज़े असर फ़रीज़े मग़रिब फ़रीज़े ईशा जिक्र रे हक़ के बाद अली अ०स० के लिए हुस्ने सना की दुआ करो और अली अ०स० के क़ातिलों पर लानत करो अरे कम अक़्ली भाईयो जहा जो इजाज़त दी गई है वहा अली अ०स० का नाम लो और रही बात शरीयत की तो शरीयत बच्चों का खेल नही है शरीयत शायरी नही है शायरी शायरी है। शरीयत शरीयत है। शरीयत मोहम्मदए मुस्तफा स०व०स० अली अ०स० के चाहने वालो को टुकड़ो में मत तक़सीम करो मेरे भाईयो अक्ल कम है तो क्या हुआ कोशिश करो तुमसे भी हो सके गा। और इतेहाद वाजिब है और वाजिब ए शरी है जिस तरह से नामज़ वाजिब है रोज़ा वाजिब है हज वाजिब है ज़कात वाजिब है ख़ुम्स वाजिब है जिहाद वाजिब है और अम्र बिन मारूफ़ और नही अनिल मुकर वाजिब है उसी तरह इतेहाद रखना वाजिब है और इंतेशार पैदा करना गुनाहे कबीरा है समझें मेरे भाईयो अभी हक़ पर आजाओ और सुनो फ़ितना पैदा करना कत्ल से बड़ा जुर्म है ये क़ुरान में है।और भाई अहलेबैत अ०स० ने तहज़ीब सिखाई है और यहाँ अहलेबैत के नाम पर एक दूसरे का दल दुखते क्या मज़लूमियत है अहलेबैर कि हम नामज़ पढ़े अल्लाह की शरायत पर न कि अपनी शरायत पर लानत हो खुदा की एसे लीगो पर हम जो चाहे हम वो करे हमारा जी चाहता है नामज़ को खेलवाड़ बसना दिया है कुछ मुनाफ़िक़ ने। बताइये तशाहूद में जो लोग शहादते सलिसः न कहे उसके नसब में शुभा है कैसी जाहिलो वाली बात करते है तो एसे लोग अपने नसब के बारे में क्या सोचते है तुम्हारे वालिद क्या तशाहूद पढ़ते थे तुम्हारे दादा क्या तशाहूद पढ़ते थे और तुम क्या 10 साल पहले क्या तशाहूद पढ़ते थे क्या ये 10 साल पहले कोई नई वही आ गई । और हदीसे एसी पेश करतें है। जैसे वो हदीसे मराजय ने तो पढ़ी नही जैसे शिस्तानी साहब को समझ मे नही आई और तुचहो को समझ मे आगयी । अरे मेरे भई क्या कमाले इल्म है सीधी अरबी इबारत पढ़ नही सकते तर्जुमे पर इन्हेसर करते है और इश्तेहाद फरमाते है।😆😆😆 मैं बताऊ शिस्तानी साहब ख़ुमैनी साहब ख़ामेनई साहब कौन है जिनके बताए हुए सीगे से तुम्हारा अग्द होता है तुम्हारे वालिद ने जिस्से निकाह पढ़ाया था उस मौलवी ने जो निकाह पढ़ा था वो इन्ही फ़ोकह का सिखाया हुआ था। वो तो तशाहूद मे aliyun waliullah नही पढ़ते थे अब तुम ही तय करो की तुम्हारे वालिद का निकाह दुरुस्त हुआ कि नही हुआ अब ये तुम पर छोड़ा । नई वही नाज़िल हो गई शरीयत शरीयत है और हम वही तशाहूद पढ़े गे जो हज़रत अली अ०स० ने पढ़ा बाकी दिल मे वेलायते अली ज़रूर होना चाहिए वरना तुम्हारी नामज़ को तुम्हाते मुँह पर मार दिया जाए गा । बाक़ी अंधो की मर्ज़ी लब्बैक या रसूलुल्लाह स०व०स० लब्बैक या हुसैन अ०स० लब्बैक या मेंहदी अ०त०फ़० लब्बैक या सिस्तानी लब्बैक या ख़ामेनई लब्बैक या नसरूल्लाह दुआ में याद रखिये गा अम्बर आबिदी
@zawarahkazmi97035 жыл бұрын
Mashallah
@farooqsumbal3 жыл бұрын
Sallallahoalehewaalehewasallam
@farooqsumbal3 жыл бұрын
Ali mola
@aatzazhassan37169 жыл бұрын
jumla samajhiye .. (ALI NE TERI NAMAZ KO YAHAN AANE K LAAIQ HEE NAHI SAMJHA).. molana sahib namaz ALI qabool karte hen ya ALLAH .. polytheist .. jewish and christian leader.. is there anyone to shut him up ..
@zackmarshall42177 жыл бұрын
i wish there could be people in front of him who would never show such wah wah
@kingxtram91944 жыл бұрын
Haq Baat sunke Agg kyu lagti hai?🔥
@farooqsumbal3 жыл бұрын
علی علی علی علی علی علی علی علی علی فاطمہ فاطمہ فاطمہ فاطمہ فاطمہ فاطمہ فاطمہ فاطمہ فاطمہ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏علیہ السلام
@kalko1107 жыл бұрын
Lovely Greats from Cologne Germany
@farooqsumbal3 жыл бұрын
Ya Arhamarrahemeen
@peekudang26506 жыл бұрын
Abrar abidi ghadeer ko nahi jantey Kya?
@thethinker85645 жыл бұрын
Tashahhud of Imam Jafar As Sadiq (as): .....اشهد ان لا اله الّا الله وحده لا شریك له و اشهد انّ محمّداً عبده و رسوله ..... اشهد انك نعم الرّبّ و انّ محمّداً نعم الرّسول و انّ علیاً نعم الوصی و نعم الامام ..... ...... I bear witness that no god but Allah alone with no partner and I bear witness that Muhammad is His slave and His Messenger.....I bear witness that you are the best Lord and that Muhammad is the best Messenger and that Ali is the Best Wasi and Imam..... [Ref: Fiqh-e-Majlisi Pg: 29]
@peekudang26506 жыл бұрын
MAULA ALI A.S.JAMBULLAH HAIN..TOH TASHAUD KYA CHEEZ HAI..MAULA MOMIN KI SALAAT HAIN BAS..SABKI NAHI.
@rabnawaz88406 жыл бұрын
bayshk, munafiq hi moula Ali a.s sy jlty thy jlty hen r kiyamat tk jlty rhen gy qk wo hrami hy jis sy moula Ali ki tareef brdsht nhen hoti
@hassanameer68796 жыл бұрын
aap,geo allma sab beshak ap ny haq bat ki
@peekudang26506 жыл бұрын
Tum sab gadhi ki qaum Kya jano vo Kya keh gaya.
@wahib7866 жыл бұрын
ayuatullah SYYED ALI SISTANI jese bururg shaksiyat khoob ilm rkhne vale Padhte nahi ye sala charsi molvi namaz me aliunwaliullah padhayega
@ShabbirZaidi12145 жыл бұрын
Ye jahil or paid log hain shia k dushman habye ghatya log
@syedschabihaiderzaidi95346 жыл бұрын
He is the actual agent of Mi6 and spread the wrong address about namaz e tashi tash'hud very wrong person
@hussainsyedsallu6 жыл бұрын
Tu pad Le jaise padna hai ham waise hi padenge jaise padi jati hai
@wahib7866 жыл бұрын
BECHARI PUBLIC ALI KE NAAM PR KUCH BHI SUNLEGI.. OR GUMRAH HO JAYEGI MOLVI APNA BANK BALANCE BANA KE CHAL PDEGA
@syedibrarhussain35976 жыл бұрын
Tonsvi apni wah wah krwa k sada logon ki fiqar ko yarghmal krta hai halanke 14,so saal se na kisi Imam ne shahadty salsa parri hai aur na hi parrny ka kaha hai Mola Ali(a.s)ki bat na man,na hi darasl munafiqat hai.