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मां के बारे में लिखने ,पढने और सुनने से अच्छा शायद कुछ नहीं लगता, और जब मुनव्वर राणा मां के बारे में बोलते हैं तो लगता है जैसे कोई बच्चा अपनी मां के बारे में बात कर रहा है. एकदम सरल शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मां की जो बात मुनव्वर साहेब करते हैं वोह अपने आप होठों पे मुस्कराहट और आखों में पानी ले आती है ........ मेरा भी मन हमेशा करता है क़ि मैं भी मां से लिपट कर बच्चा हो जाऊं. - पीयूष तिवारी