तुलसीराम जी के मुर्दहिया किताब के हिसाब से सोमर चाचा यानि चौधरी चाचा साम्यवादी थे और बड़े ही सहनशील व्यक्ति थे इसलिए घर के मालिक भी वही थे और चौधरी भी । मगर इस मंचन में उनका व्यक्तित्व अलग दर्शाया गया । साथ ही दादी को हस्पताल ले जाने को हिंगुहारे ने कहा था जो नेपाल से हींग बेचने गांव आया था न की तेरसी ने कहा था ।
@pushkarbabu1433 Жыл бұрын
Bahut acha
@navjyotinav55556 жыл бұрын
Best play.. an old memory.. well done aahang.. *harijan jati sahe dhukh bhari* beautiful song.... Keep it up.. go and touch the sky...
@SeemaSingh-bx6zy2 жыл бұрын
बहुत ही अच्छा प्रस्तुत किया सभी लोगो ने अपने किरदार बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया धन्यवाद
@arunvermaprayagraj54542 жыл бұрын
बहुत ही सुन्दर नाटक हैं।
@dipankarpathak15205 жыл бұрын
बहुत बढ़िया रोहित जी
@KundanSingh-rf3wl3 жыл бұрын
Bhai iske age part kha hai ye adha bhi nhi hai 🥺
@RahulSharma-ct6iv7 жыл бұрын
superb sir keep it up ...
@goldiupadhyay33955 жыл бұрын
Bahut bahut dhanybaad
@saumyapradeep98704 жыл бұрын
आपने इस उपन्यास का केवल पूर्वार्ध का मंचन किया है । इसका शेष उत्तरार्ध का मंचन आप कब करोगे ?